इंदौर।जिला अदालत ने धोखाधड़ी के एक मामले में 3 लोगों को दोषी मानते हुए 3-3 साल की सजा सुनाई है. मामला फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर बैंक से धोखाधड़ी से जुड़ा है. इस वारदात को साल 2011 में अंजाम दिया गया था. करीब 12 साल तक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अब फैसला सुना दिया है.
एक जमीन पर दो बैंक से लिया लोन:प्रकरण 2011 में 24 अगस्त को भोपाल में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में दर्ज कराया गया था. शिकायतकर्ता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मिल क्षेत्र के मुख्य प्रबंधक के सुरेश ने मोहन यादव, मोना यादव, एमसी व्यास तत्कालीन मुख्य प्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मिल एरिया और राजकुमार एरन तत्कालीन प्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मिल एरिया शाखा इंदौर आदि के विरुद्ध फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर लोन देने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी. मामले की जांच के लिए प्रकोष्ठ द्वारा एक टीम गठित की गई. जांच-पड़ताल के बाद आरोप को सही पाते हुए आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया. EOW ने जांच रिपोर्ट बनाकर चालान कोर्ट में पेश किया. जिसमें साफ किया गया कि मोहन यादव और मोना यादव ने इंदौर में विजय नगर की स्कीम नंबर 54 स्थित भूखंड पर कई बैंकों से फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर धोखाधड़ी पूर्वक आवास ऋण लिया गया था. आरोपियों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मिल एरिया इंदौर से भी इसी रजिस्ट्री के आधार पर 20 लाख का लोन हासिल कर लिया था. इस पूरे फ्रॉड को बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया गया.