इंदौर। आई केयर हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी ही नहीं गई, बल्कि कुछ मरीजों की आंखें तक निकाल दी गईं. आंखफोड़वा कांड में पीड़ित के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में ऑपरेशन इतना बिगड़ गया कि मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख तक निकालनी पड़ी.
आई हॉस्पिटल का एक और कारनामा, ऑपरेशन के बाद जान बचाने के लिए निकाली आंख
इंदौर के आंखफोड़वा कांड को लेकर एक और मामला सामने आया है. आंखफोड़वा कांड से पीड़ित के परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि ऑपरेशन के दौरान मरीज की हालत इतनी बिगड़ गई कि जान बचाने के लिए उसकी आंखें ही निकालनी पड़ गईं.
इंदौर के स्कीम नंबर-51 में रहने वाली मुन्नी बाई रघुवंशी का 5 अगस्त को इंदौर आई केयर अस्पताल में निजी तौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया गया था. ऑपरेशन के बाद से ही मुन्नीबाई को कम दिखाई देने लगा, दो दिन बाद उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो गया. जिसके चलते 10 अगस्त को मुन्नी बाई का दूसरा ऑपरेशन किया गया. जो पूरी तरह से असफल रहा और उनकी आंखे निकालनी पड़ी. परिजनों ने कहा कि 15 हजार रुपए देकर उन्होंने ऑपरेशन कराया गया था. आंखफोड़वा कांड में लगातार सामने आ रहे मरीजों से हो रहे खुलासे के बाद अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने माना है कि 5 अगस्त से अब तक हुए सभी ऑपरेशनों में भारी लापरवाही बरती गई है, स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार सिर्फ कैंप के दौरान हुए पीड़ित मरीजों के लिए नहीं बल्कि सभी मरीजों का ध्यान सरकार के द्वारा रखा जाएगा.