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Hoshangabad News: पट्टे नहीं मिलने से नाराज आदिवासी, जंगल में काटते रहे पेड़, मूकदर्शक बना वन विभाग

होशंगाबाद के वनग्राम राजलढाना में आदिवासियों को जमीन के पट्टे नहीं मिले हैं. नाराज आदिवासियों ने वन भूमि पर हजारों खड़े हरे-भरे पेड़ काटकर खेत बनाना शुरू कर दिया. मंगलवार-बुधवार को राजलढाना गांव के लगभग 200 से अधिक आदिवासी शामिल हुए. मौके पर वन अमला मूकदर्शक बना रहा.

Hoshangabad News
होशंगाबाद में आदिवासियों की मांग

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Published : Feb 23, 2023, 8:20 PM IST

होशंगाबाद में आदिवासियों को नहीं मिले जमीन के पट्टे

होशंगाबाद:सिवनी मालवा तहसील के वन परिक्षेत्र बानापुरा क्षेत्र के वनग्राम राजलढाना में जमीन के पट्टे नहीं मिलने से आदिवासी नाराज है. नाराज आदिवासियों ने जंगल में खड़े हरे-भरे पेड़ काटकर खेत बनाना शुरू कर दिया. इसमें बीते दो दिनों में राजलढाना गांव के लगभग 200 से अधिक आदिवासी शामिल हुए. वन भूमि पर खड़े लगभग हजारों हरे-भरे पेड़ काट दिए. इसकी सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे वन अधिकारी और कर्मचारियों ने आदिवासियों को मौके से भगाने का प्रयास किया. उनके खिलाफ वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं किये.

मौके पर पहुंची प्रशासन:आदिवासियों की भीड़ को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को दी. जानकारी मिलते ही एसडीएम अनिल जैन, नायब तहसीलदार प्रमेश जैन, राजस्व अमले सहित पुलिस बल लेकर घटना स्थल पर पहुंचे. स्थानीय प्रशासन के पहुंचने के बाद भी आदिवासी पेड़ काटते रहे. जिसके बाद एसडीएम अनिल जैन सभी से चर्चा कर उन्हें समझाया गया. बताया गया कि इस तरह हरे भरे पेड़ों को काटकर नुकसान करने से कुछ नहीं होगा. पट्टे के लिए आप लोग विधिवत आवेदन करें. आदिवासी मौके पर ही पट्टे का आवेदन एसडीएम अनिल जैन को दिया गया.

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'जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है':वन विभाग साल 2016 में 120 हेक्टेयर जमीन पर औषधी के पौधों का प्लांटेशन किया गया था, जिनमें महुआ, बहेड़ा, कहू सहित अन्य पौधे लगाए गए थे, जिसमें से लगभग 7 हेक्टेयर जमीन पर आदिवासी पेड़ो को काट दिया गया. आदिवासी उस स्थान पर एक बैनर बना कर लगाया गया था, जिसमें लिखा था "जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है, जय उलगुलान जारी है." वन विभाग के अधिकारीयों के ढीला रवैया देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि वन अफसर इस जंगल को इन आदिवासियों से कब तक बचा पाएंगे. एसडीएम अनिल जैन ने बताया कि "वन विभाग हमें सूचना नहीं दी. आज वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी मिली जिस पर आकर आदिवासियों को समझाइस करनी पड़ी. इस तरह से जंगल को काट नुकसान नहीं करें. आप लोग आवेदन दें.

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