हरदा। हर साल सरकार और सामाजिक संगठन लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण करते हैं. वहीं हर साल किसान गेंहू की फसल काटने के बाद बची नरवाई को जलाते हैं, जिसके चलते आग की चपेट में आने से खेतों की मेड़ पर लगे वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों की बलि चढ़ती है. प्रशासन के द्वारा भी किसानों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने से हर साल बड़ा नुकसान होता है.
इस साल भी नरवाई में लगी आग की वजह से कई किसानों की खड़ी फसल भी जल गई है. इसके वाबजूद किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. हर साल सरकार और सामाजिक संगठनों के द्वारा लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया जा रहा है. जिले में वन विभाग ने करोड़ो रूपये खर्च कर पौधरोपण तो किया है लेकिन पानी की कमी की वजह से कुछ दिनों में जंगल के अधिकांश पौधे सुख गये हैं.
नरवाई की आग से चढ़ रही है हरे पेड़ों की बलि जिले के रेवा पर्यावरण क्लब भी बारिश के दिनों में जगह-जगह पौधरोपण करती है. कलेक्टर बंगले के पास बने नए सर्किट हाउस में क्लब के सदस्यों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में इस साल करीब 70 से अधिक पौधे लगाए हैं, जिन्हें गर्मी से बचाने क्लब के सदस्य हर रविवार को पानी देते हैं. क्लब के सदस्यों का कहना है कि एक और उनके द्वारा पौधों को बड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है, वहीं हर साल नरवाई की आग से हरे पेड़ों की बलि चढ़ना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है.
इस साल नरवाई की आग से हजारों हरे पेड़ जल कर रख हो गए हैं. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है. जबकि हर साल कलेक्टर द्वारा मार्च महीने से ही नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए जाते हैं. जितने पौधे रोपित नहीं होते उससे कई ज्यादा जलकर खाक हो जाते हैं, जिसके चलते पिछले पांच सालों में औसत से कम बारिश हुई है. साथ ही जलस्तर गिरने से पूरे जिले में पानी की समस्या भी आ जाती है.