कौमी एकता की मिसाल तानसेन समारोह, समाधि पर आरती के बाद की जाती है चादरपोशी
तानसेन समारोह में एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति दी जाती है, वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.
तानसेन समारोह आयोजित
ग्वालियर। जिले में लगभग एक सदी से हर साल आयोजित होने वाला तानसेन समारोह सांप्रदायिक सौहार्द का जीता जागता उदाहरण है. तानसेन समारोह का आगाज परंपरागत तरीके से हरि कथा मिलाद के साथ शुरू किया जाता है. इस बार भी डोली बुआ महाराज ने हरि कथा सुनाई, जिसके बाद मिलाद शरीफ पढ़ी गई. साथ ही जहां तानसेन की समाधि पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चादरपोशी की तो वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार उनकी समाधि की आरती भी की गई.
ये परंपरा तानसेन समारोह के शुरुआत से ही है, जिस जगह स्वर सम्राट तानसेन की समाधि है. तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए हरि कथा और उनके लिखे गए संगीत का गायन कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है. तानसेन समारोह में कई साल से हरि कथा करते आ रहे ढोली बुआ का कहना है कि माध्यम कोई भी हो सब का उद्देश्य अल्लाह और ईश्वर की वंदना करना है, जो महान आत्मा है. उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करना है.
तानसेन जन्म से ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने मोहम्मद घोष को अपना आध्यात्मिक गुरु माना था. यही वजह है कि जब उनका समारोह आयोजित किया जाता है, तब उन्हें आमंत्रित करने के लिए हरि कथा और मिलाद का आयोजन किया जाता है. वहीं तानसेन समारोह में शामिल होने पहुंचे संगीत प्रेमियों का भी मानना है कि यहां जो परंपरागत पद्धति है, वह बहुत ही शानदार है और इससे पता चलता है कि भारत की तहजीब कितनी गंगा-जमुनी है, एक तरफ जहां हरि कथा की प्रस्तुति दी जाती है, वहीं मिलाद शरीफ पढ़ कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है.