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ग्वालियर-चंबल अंचल में समर्थकों की जीत हार से जुड़ी सिंधिया की साख, नतीजे तय करेंगे राजनीतिक भविष्य

Scindia Political Future: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम के लिए बस एक दिन का इंतजार और है. 3 दिसंबर को एमपी की सियासत की करवट बैठेगी यह साफ हो जाएगा. साथ ही इस चुनाव से दांव पर लगा केंद्रीय मंत्री सिंधिया का भविष्य भी पता चल जाएगा. ग्वालियर से अनिल गौर की इस रिपोर्ट में पढ़िए आखिर कैसे नतीजों पर टिका सिंधिया का भविष्य...

Madhya Pradesh Election Result 2023
नतीजों पर टिका भविष्य

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 2, 2023, 1:04 PM IST

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे, लेकिन यह नतीजा इस बार सिर्फ प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला ही नहीं करेंगे, बल्कि कई बड़े दिग्गजों की राजनीतिक भविष्य का भी निर्णय सुनाएंगे. इसमें सबसे पहला नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का है, क्योंकि उनके लगभग दो दर्जन समर्थक चुनावी मैदान में हैं. इन्हीं समर्थकों की जीत-हार बीजेपी में सिंधिया के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे.

बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों की साख दांव पर: बता दें मध्य प्रदेश में 17 नंबर को मतदान होने के बाद बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन 3 दिसंबर को जो नतीजे आएंगे, उसमें फैसला होगा कि मध्य प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी और इस फैसले के साथ ही कई भाजपा और कांग्रेस की दिग्गजों की साख का भी फैसला होगा कि वह अपने अंचल में कितने मजबूत और कितने कमजोर हैं. इस चुनाव में सबसे अधिक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्चस्व की चर्चा तेज है, क्योंकि ग्वालियर चंबल अंचल अबकी बार बीजेपी ने उन्हीं के हवाले छोड़ दिया था. अंचल में अबकी बार सिंधिया के लगभग 15 समर्थक हैं, जो अलग-अलग विधानसभा से चुनावी मैदान में हैं और पार्टी ने उनको जीतने की जिम्मेदारी सिंधिया के कंधों पर ही डाल दी थी और इन्हीं समर्थकों की हार जीत सिंधिया की साख का भी फैसला करेगी.

समर्थक जीते तो बढ़ेगा सिंधिया का कद: ग्वालियर चंबल अंचल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उम्मीदवारों का जीतना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इससे ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ेगा. अगर उम्मीदवारों को सफलता नहीं मिलती है, तो कहीं ना कहीं केंद्रीय मंत्री सिंधिया की साख पर बुरा असर देखने को मिलेगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तो दावा किया जा रहा था कि सिंधिया की वजह से ही कांग्रेस 34 में से 26 सीटे जीती थी. अब जब सिंधिया बीजेपी में आ गये हैं, तो उनके लिए यह एक अग्नि परीक्षा है और साबित करना होगा कि वह ग्वालियर चंबल अंचल में अपनी समर्थकों की कितनी सीटें जिता पाते हैं.

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

खुद को साबित कर रहे सिंधिया: अबकी बार ग्वालियर चंबल में लगभग 15 सीटों पर सिंधिया समर्थक उम्मीदवार खड़े हुए हैं और इसके लिए खुद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ताबड़तोड़ प्रचार भी किया था. इसके साथ ही बीजेपी ने सिंधिया को ग्वालियर चंबल संभाग के प्रचार प्रसार के लिए स्टार प्रचारक के रूप में पूरी छूट दे रखी थी. इसलिए सिंधिया को यह साबित करना होगा कि उनका वही रसूख बीजेपी में भी है, जो कांग्रेस में हुआ करता था. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल-अंचल में सिंधिया समर्थकों की हार जीत सिंधिया के वर्चस्व पर भी बड़ा असर डालेगी.

बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर: ग्वालियर चंबल अंचल में करीब 12 सिंधिया समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं और ज्यादातर कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है. इसके साथ ही कुछ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर मानी जा रही है. सभी सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों के लिए कोई भी सीट आसान नहीं है. सब सीटों पर लगभग चुनौती बनी हुई है. ग्वालियर में अगर बात करें तो सबसे चर्चित और कट्टर समर्थक ग्वालियर विधानसभा से बीजेपी उम्मीदवार प्रद्युमन सिंह तोमर हैं और उनके सामने कांग्रेस से सुनील शर्मा हैं, लेकिन बीजेपी की एंटीएंनम्बेंसी की वजह से यहां कड़ा मुकाबला माना जा रहा है.

कई सीटें कांग्रेस का गढ़: इसके अलावा ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक सतीश सिंह सिकरवार के सामने सिंधिया समर्थक माया सिंह मैदान में हैं, लेकिन यहां पर कांग्रेस के प्रत्याशी भारी दिखाई दे रहे हैं. वहीं डबरा विधानसभा से समर्थक इमरती देवी और भितरवार विधानसभा से सिंधिया समर्थक मोहन सिंह राठौड़ मैदान में हैं. यहां भी कांग्रेस की कड़ी टक्कर है, क्योंकि यह दोनों सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. यहां से पहले भी कांग्रेस जीतती आ रही है. इसके अलावा कई और भी सिंधिया समर्थकों की सीट है. जहां पर जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है.

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

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सिंधिया ने ली समर्थकों की पूरी जिम्मेदारी:ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया समर्थकों की हार जीत ही सिंधिया के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे, क्योंकि बीजेपी पार्टी में सिंधिया को अपना वर्चस्व दिखाने का यह पहला मौका है. अगर यहां भी वे कमजोर साबित हुए तो उनकी रसूक और वर्चस्व में कमी देखने को मिलेगी. यही कारण है कि इस चुनाव में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने से लेकर उन्हें जिताने की जिम्मेदारी खुद लेकर चल रहे हैं.

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