ग्वालियर।हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दूध और उससे बने उत्पादों सहित अन्य खाद्य पदार्थों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए थे. इसके मुताबिक समय-समय पर खाद्य पदार्थों के नमूने लिए जाने उन्हें प्रयोगशाला भेजने और लैबोरेट्री टेस्टिंग जैसे आदेश दिए गए थे. लेकिन जिला प्रशासन दीपावली के पर्व के मौके पर इन खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर सका है. यही कारण है कि रोजाना पकड़े जा रहे मिलावटी मावा के मामलों में निर्माणकर्ताओं के खिलाफ बेहद लचर ढंग से कार्रवाई की जा रही है.
मिलावटखोरों से अफसरों की मिलीभगत :इससे स्पष्ट होता है कि औषधि प्रशासन विभाग एवं फूड सेफ्टी ऑफिसर कहीं न कहीं मिलावटखोरों से साठगांठ किए हुए हैं. हाई कोर्ट ने कहा है कि उसके अधिकार क्षेत्र वाले सभी नौ जिलों के कलेक्टर अपना कार्रवाई से संबंधित एफिडेविट 7 दिसंबर तक कोर्ट में फाइल करें. जिसमें उनके द्वारा की गई कार्रवाई का सिलसिलेवार ब्यौरा हो. हाई कोर्ट ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के मौजूद फूड सेफ्टी ऑफिसर्स पर नाराजगी जताई और उन्हें यहां से अन्यत्र जिलों में भेजने की बात भी कही.