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आजादी से अब तक राजनीति का पावर हाउस रहा ग्वालियर चंबल, MP की सियासत में यहां के नेता तय करते हैं दिशा और दशा - चंबल अंचल को कहते हैं राजनीति का पावर हाउस

एमपी विधानसभा चुनाव में नेताओं की बयानबाजी और उनसे जुड़ी कहानी व तथ्य सामने आ रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको चंबल-अंचल की सियासत के बारे में बताएंगे. चंबल-अंचल के ऐसे सितारे जिन्होंने राजनीति में अपना नाम रोशन किया है. जानिए क्यों चंबल-अंचल को कहते हैं राजनीति का पावर हाउस. पढ़िए ग्वालियर के संवाददाता अनिल गौर की यह रिपोर्ट

Gwalior Chambal power house of politics
चंबल के सितारे

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 10, 2023, 8:33 PM IST

Updated : Oct 10, 2023, 8:43 PM IST

ग्वालियर चंबल को कहते हैं राजनीति का पावर हाउस

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल इलाका जिसे लोग डाकू और बागियों के नाम से जानते हैं, लेकिन देश की राजनीति हो या फिर प्रदेश की, इस अंचल के नेताओं का भी राजनीति में अच्छा खासा दखल रहा है. ग्वालियर चम्बल-अंचल से देश की राजनीति चलाने बाले कई नेता यहां से निकले और इस समय प्रदेश की राजनीति में भी दबदबा है. इसलिए ग्वालियर संभाग को देश और प्रदेश की राजनीति का पावर हाउस भी कहते हैं. आजादी से लेकर अब तक यहां पर कई बड़े दिग्गज नेताओं के नाम सामने आते हैं. आज भी ग्वालियर चम्बल संभाग में बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता देश प्रदेश की राजनीति में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

प्रदेश में चाहे बीजेपी की सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार आये लेकिन, इस संभाग के कई नेता बड़े ओहदे पर बैठते नजर आते हैं. राजमाता विजयाराजे से लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की जन्भूमि और कर्म भूमि यह ग्वालियर चंबल संभाग रहा है. जिन्होंने देश और प्रदेश को बलदाव की ओर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इसके साथ नरायण कृष्ण शेजवलकर जो भाजपा के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं. साथ ही बीजेपी के पितृ पुरुष कहे जाने वाले कुशाभाऊ ठाकरे ने ग्वालियर संभाग को अपनी कर्म भूमि बनाया था. आजादी से लेकर अब तक अनगिनित नेता इस भूमि से निकलकर आज राष्ट्रीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भमिका अदा की है. आज भी इस जिले के कई नेता देश और प्रदेश स्तर की राजनीति में अपना जलवा बिखेर रहे हैं.

राजमाता विजयाराजे सिंधिया: राजमाता भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में एक थी. मध्य प्रदेश की राजनीति में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. 1967 में मध्य प्रदेश सरकार गठन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पति जीवाजी राव की मृत्यु के बाद विजयाराजे कांग्रेस से सांसद बनी थी और उसके बाद अपने सैद्धांतिक मूल्यों के कारण वह जनसंघ में शामिल हो गयी थीं. धीरे धीरे पार्टी स्तम्भ के रूप से पहचान बन गई. राजमाता 10 बार सांसद बनी थीं. अभी हाल में ही बीजेपी ने ग्वालियर समाधि स्थल से राजमाता के 100वें जन्मदिवस पर शताब्दी वर्ष भी मनाया था.

विजयाराजे सिंधिया

अटल बिहारी वाजपेयी:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म 25 सितम्बर को 1924 ग्वालियर के कमल सिंह के बाग में हुआ था. अटलजी का बचपन यही ग्वालियर की गलियों में बीता है. अटल जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राजनीति मे प्रवेश किया. उसके बाद 1951 में जनसंघ के संथापक सदस्य बने. धीरे धीरे राजनीति को अपना सब कुछ मान कर आगे बढ़ते गये. अटल कई बार लोकसभा का चुनाव जीते, वह देश के प्रधानमंत्री बने और देश के सबसे लोकप्रिय नेता उभर कर सामने आये.

माधवराव सिंधिया: वैसे तो सिंधिया परिवार राजनीति में शुरू से आगे रहा है. राजमाता विजयाराजे के बेटे माधवराज सिंधिया बिट्रेन से लौटने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा. माधवराव सिंधिया अपने आप में कांग्रेस के एक बड़े और दिग्गज नेता माने जाते थे. गांधी परिवार के भी बहुत करीबी थे. माधवराज 1971 में ग्वालियर से लोकसभा के लिए चुने गये थे. उन्होंने 26 वर्ष की आयु में गुना सीट से पहली बार चुनाव में जीत दर्ज की. धीरे-धीरे वह कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओ सामने आने लगे. कांग्रेस पार्टी से सीएम की दावेदारी के एक स्टार चेहरा सामने आया था, लेकिन 30 सितंबर 2001 को विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई.

ज्योतिरादित्य सिंधिया:यह सिंधिया परिवार और स्वर्गीय माधव राव के बेटे हैं. ग्वालियर चम्बल संभाग में अपनी मजबूत पकड़ और स्टार प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं. ग्वालियर चंबल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया की जनता पर अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. मध्यप्रदेश की सियासत में यह चेहरा काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे है और अभी हाल में ही साल 2020 में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके कारण मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया. अब वर्तमान में बीजेपी में केंद्र के मंत्री है. अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोग सीएम के रूप में देखना चाहते हैं. इनके भाषण देने की आक्रामक शैली से जनता काफी प्रभावित होती है.

नरेंद्र सिंह तोमर: केंद्र सरकार में मंत्री और मोदी के करीबी माने जाने वाले नरेंद्र सिंह तोमर का जन्म मुरैना जिले में हुआ था. उसके बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह मुरैना से ग्वालियर आ गए. उसके बाद इनका राजनीतिक सफर चुनोतियों से भरा रहा. नरेंद्र सिंह को इलाके के लोग मुन्ना के नाम से बुलाते हैं. पहली बार छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे. नरेंद्र सिंह पहली ग्वालियर नगर निगम में पार्षद पद पर निर्वाचित हुये. उसके बाद नरेंद्र सिंह तोमर राजनीति में सक्रिय हो गए. 1977 में यह भाजपा के युवा मंडल अध्यक्ष बनाये गये. उसके बाद यह अपने राजनीतिक सफर में आगे बढ़ते गए और यह विभिन्न पदों पर रहते हुए युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2009 में मुरैना और 2014 में ग्वालियर के संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए. नरेंद्र सिंह तोमर सरल, सहज और तौल कर बोलने बाले भाषणों के बारे में जाने जाते हैं. ग्वालियर चम्बल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. नरेंद्र सिंह तोमर क्षत्रिय वोटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं.

जयभान सिंह पवैया: जयभान सिंह का जन्म ग्वालियर के चीनोर गांव में 1955 में हुआ था. ग्वालियर शहर से बीजेपी से विधायक और प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री हैं. जयभान सिंह कट्टर हिन्दूवादी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं. साथ ही यह बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं और बाबरी मस्जिद को ढहाने में अहम भूमिका निभाई थी. पवैया अपने उग्र भाषण के नाम से जाने जाते हैं. इसी वजह से उनके भाषणों की सीटी मध्यप्रदेश में वैन कर दी गई थी. पवैया सिंधिया परिवार के धुर विरोधी माने जाते हैं. यह कई बार सिंधिया पर हमला बोलते नजर आते हैं. 1973 में यह आरएसएस के संपर्क में आये. जयभान सिंह संघ और पार्टी में खासी पकड़ रखते हैं. 1996 आतांकवादी धमकी के विरोध में 50 हजार युवाओं के साथ कश्मीर कूच किया था. जयभान सिंह पवैया पहली बार 2013 मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गये थे.

माया सिंह:प्रदेश सरकार में मंत्री रहीं माया सिंह जन्म उत्तरप्रदेश में हुआ था, लेकिन ग्वालियर के सिंधिया परिवार की राजमाता विजयाराजे सिंधिया के भाई ध्यानेन्द्र सिंह से माया सिंह की शादी हुई. उसके बाद माया सिंह ने ग्वालियर से अपना राजनीतिक सफर की शुरुआत की. माया सिंह ग्वालियर से लम्बे समय तक उपमहापौर रही. उसके बाद भाजपा से महिला मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं. उसके बाद अपने राजनीतिक सफर में आगे बढ़ती गयीं.

माया सिंह पूर्व मंत्री

नारायण सिंह कुशवाह:यह ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक और शिवराज सरकार में तीसरी बार मंत्री बने हैं, मतलब शिवराज सरकार में अपनी मजबूत और भरोसेबंद नेता हैं. नारायण सिंह यह भाजपा संगठन में लगातार जुड़े रहे हैं. यह अपने इलाके में कुशवाह समाज के वोटों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. नारायण सिंह ग्वालियर के गांव में एक किसान के घर जन्म लिया और उन्होंने ग्वालियर को अपनी राजनीति सफर का अड्डा बनाया.

नारायण सिंह कुशवाह पूर्व मंत्री

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यशोधरा राजे सिंधिया: सिंधिया राज घराने से ताल्लुक रखने वाली यशोधरा राजे मध्यप्रदेश सरकार में खेल मंत्री के पद पर हैं. यशोधरा राजे अपने तीखे अंदाज से जानी जाती हैं. कई बार वे अपनी सरकार से खिलाफ ही बोलती नजर आयीं. अभी हाल में ही उन्होंने इस विधानसभा में चुनाव न लड़ने की घोषणा की है. इससे पूरे मध्य प्रदेश की शासन में भूचाल आ गया है.

यशोधरा राजे सिंधिया कैबिनेट मंत्री

लाल सिंह आर्य:दलित वोटों पर पकड़ रखने वाले लाल सिंह भिंड के गोहद विधानसभा से विधायक हैं. अभी प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री है. यह भी शिवराज के एक भरोसेमंद नेता के रूप में माने जाते हैं. कई बार लाल सिंह आर्य पर हत्या के आरोप लगते रहे है और विपक्ष ने भी इनके लिए मुश्किलें खड़ी की है, लेकिन सरकार इनके बचाव में खड़ी नजर आयी है. साथ अपने इलाके में दलित वोटो को साधने में माहिर खिलाड़ी हैं.

लाल सिंह आर्य पूर्व मंत्री

मतलब साफ है इस ग्वालियर चम्बल अंचल ने आजादी से लेकर अब तक कई बड़े नेताओं को महारत हासिल करने में योगदान दिया है इस अंचल से कई बड़े नेता देश और प्रदेश की राजनीती में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है और वर्तमान में भी प्रदेश सरकार में ग्वालियर चम्बल अंचल से इसी इलाके से आते है मतलब यह कहना गलत नहीं होगा कि ग्वालियर चम्बल अंचल एक राजनीतिक का केंद्र बिंदु है और भी तमाम नेता ग्वालियर चम्बल संभाग आते है जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत यहाँ से की और आज देश प्रदेश की राजनीती अहम भूमिका निभा रहे है.

Last Updated : Oct 10, 2023, 8:43 PM IST

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