ग्वालियर। जयरोग्य अस्पताल की क्षमता लगभग 800 बेड की है, इसमें कैंसर से लेकर छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज किए जाते हैं. इस अस्पताल में ना केवल ग्वालियर चंबल संभाग की मरीज आते हैं, बल्कि यूपी और राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों से भी मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें यहां हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए.
बीमार, बहुत बीमार हो चुका है ग्वालियर का जरायोग्य अस्पताल, जगह-जगह लिखे हैं चेतावनी संदेश
जयरोग्य अस्पताल के भवन जर्जर हालत में है. इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें. इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है.
मरीजों को लेकर डरे हुए उनके परिजनों का कहना है, कि यह भवन जर्जर हालत में है. कभी भी धराशाई हो सकता है. यदि कभी कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा. साथ ही उनका कहना है कि नया अस्पताल बनना चाहिए ताकि मरीज और उनके परिजन निडर होकर अपना इलाज करा सकें. अस्पताल भवन की जर्जर होने की बात खुद जयरोग्य अधीक्षक स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि बिल्डिंग काफी पुरानी है इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें. इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है.
जयरोग्य अधीक्षक का कहना है पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन यह भवन है उन्होंने ही जांच पड़ताल करके चेतावनी संदेश लिखवाया है . अभी हाल में ही एक अस्पताल बन रहा है, कुछ ही महीने बाद अस्पताल को नई भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. अस्पताल के भवन की हालत देखते हुए तकरीबन 15 साल पहले ही एक नया 1,000 बिस्तर का अस्पताल बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है. इस भवन के लिए तीन बार भूमि पूजन हो चुका है. जमीन आवंटन ना होने के चलते इस भवन के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया था, अब जाकर जमीन का आवंटन किया गया है.