ग्वालियर।चुनावी रंजिश में दलित दंपत्ति पर हमला करने और ग्रामीण की हत्या के मामले में कोर्ट ने 12 साल बाद फैसला सुनाया है. एमपी एमएलए कोर्ट ने बिजावर के भाजपा विधायक राजेश शुक्ला (BJP MLA rajesh Shukla acquitted) और तीन अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. लेकिन इस मामले में प्राइमरी टीचर प्रमोद दुबे को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है, उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें कि यह घटना छतरपुर जिले में हुई थी.
चुनावी रंजिश में दंपत्ति पर किया था हमला: शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि छतरपुर जिले में 9 जुलाई 2010 को आरोपी प्रमोद दुबे तथा अन्य लोगों ने दलित कन्हैया लाल अहिरवार और उसकी पत्नी सुनिया बाई पर उपसरपंच के चुनाव में अपने प्रत्याशी को वोट नहीं देने पर जानलेवा हमला कर दिया था, इसमें गोली लगने से कन्हैया लाल अहिरवार की मौत हो गई थी, जबकि उसकी पत्नी को 3 बदमाशों ने घायल कर दिया था. पुलिस ने इस मामले में विधायक बिजावर राजेश शुक्ला, प्रमोद दुबे, पुष्पेंद्र अवस्थी, अखंड प्रताप और वेद प्रकाश पाठक को आरोपी बनाया था. लेकिन हत्या का अपराध सिर्फ प्रमोद दुबे पर ही सिद्ध हो सका. जबकि भाजपा के बिजावर विधायक राजेश शुक्ला सहित अन्य लोगों को बरी कर दिया गया.