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Gwalior Fake Mawa: सावधान! ग्वालियर अंचल में फिर सक्रिय हुए 'सफेद जहर' बेचने वाले माफिया, त्योहारों पर मिठाई खरीदने से पहले यह बात जरूर जान लें

रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक है और इस दौरान ग्वालियर चंबल अंचल सफेद जहर के लिए माफियाओं का गढ़ बन जाता है. यहां 'सफेद जहर' यानी नकली और मिलावटी दूध, मावा, पनीर की सप्लाई शुरू हो जाती है. अंचल में मिलावटखोर त्योहार पर नकली मावा तैयार कर अलग-अलग माध्यमों से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में और आसपास के राज्यों में सप्लाई करते हैं. नकली मावे मिठाइयां जिसे खाने से कई गंभीर बीमारियां पनपती हैं. आपको बताएंगे कि मिलावटखोर किस तरीके से नकली मावा और नकली दूध तैयार करते हैं और कैसे पूरे प्रदेश में सप्लाई करते हैं.

Gwalior Fake Mawa
सक्रिय हुए सफेद जहर बेचने वाले माफिया

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Published : Aug 13, 2023, 12:12 PM IST

Updated : Aug 13, 2023, 12:35 PM IST

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ग्वालियर। मध्य प्रदेश केग्वालियर चंबल अंचल सफेद जहर के नाम से लगातार बदनाम होता जा रहा है. सरकार से लेकर प्रशासन हर बार त्योहार नजदीक आने पर इन मिलावटखोरों पर नकेल कसने का दावा करता है लेकिन असल में सच्चाई यह है कि प्रशासन आज तक इन्हें रोक नहीं पाया है और यह मिलावट खोर माफिया लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. हालात यह है कि ग्वालियर चंबल अंचल में त्योहारों के समय मिलावटखोर माफिया अलग-अलग माध्यमों से नकली मावा और दूध की सप्लाई करते हैं. जिसमें खाद्य विभाग के कुछ अधिकारी भी ऐसे हैं जिनकी साठगांठ रहती है.

ग्वालियर अंचल में नकली मावे की सप्लाई

हजारों क्विंटल नकली मावा होता है तैयार: ग्वालियर, चंबल-अंचल में मुरैना और भिंड जिले ऐसे हैं, जहां पर सबसे अधिक नकली दूध और नकली मावा तैयार होता है. इन दोनों जिलों में मिलावट खोर माफिया नकली दूध तैयार करते हैं और उसके बाद इस दूध को आसपास की इलाकों में सप्लाई करते हैं और इस दूध से मिठाइयां तैयार होती है. इसके बाद त्योहारों पर नकली मावा भी हजारों क्विंटल में तैयार होता है और उसके बाद यह माफिया अलग-अलग माध्यमों से प्रदेश के अलग-अलग शहरों में सप्लाई करते हैं. हालांकि त्यौहार पर प्रशासन की तरफ से कार्यवाही होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मिलावटखोरों को रोकना यह कार्यवाहियां बहुत ही कम साबित होती हैं.

दुग्ध उत्पादन में भिंड पीछे, मावा सप्लाई में आगे: रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक है, ऐसे में दुकानों पर सजने वाली तरह-तरह की मिठाइयां आपको भले ही देखने में सुंदर दिखाई दे रही हैं लेकिन असल में यह मिठाइयां जहर से कम नहीं हैं. मुरैना और भिंड जिले में लगभग 500 से अधिक ऐसे ठिकाने हैं जहां पर नकली मावा तैयार किया जाता है. सबसे खास बात यह है कि दुग्ध उत्पादन में 16 जिलों में भिंड जिला सबसे पीछे है. लेकिन यहां से देश भर में सबसे अधिक मावे की सप्लाई होती है. इसलिए आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह सफेद जहर कितनी बड़ी मात्रा में तैयार होता है. वहीं मिलावट को लेकर मुरैना जिला भी कम नहीं है. मुरैना जिले में सबसे अधिक नकली दूध तैयार किया जाता है और उसके बाद इस दूध को अलग-अलग इलाकों में सप्लाई किया जाता है. साथ ही नकली मावा तैयार करने के लिए शहर के ग्रामीण इलाकों में त्योहारों के नजदीक यह काम शुरू हो जाता है.

सक्रिय हुए सफेद जहर बेचने वाले माफिया

हाई कोर्ट जता चुका है नाराजगी: ग्वालियर चंबल अंचल में मिलावट को लेकर हाई कोर्ट भी कई बार नाराजगी जाहिर कर चुका है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने पिछले साल मिलावटी दूध सामग्री पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ''मिलावट के मामले में मुरैना और भिंड का नाम काफी बदनाम है. यहां से मिलावटी खाद्य सामग्री देशभर में भेजी जाती है इस छवि को बदलना होगा. लोगों के पास ऐसे उत्पादों को खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वह उत्पाद का साइड इफेक्ट जाने बिना इसका उपयोग कर रहे हैं जो काफी गंभीर है.'' लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है. यही कारण है कि त्योहारों के नजदीक या मिलावटखोर हर बार सक्रिय हो जाते हैं.''

खाद्य पदार्थ के 41 सैंपल की रिपोर्ट फेल: बता दें कि, मुरैना जिले में साल 2014 से 2020 तक लगभग 300 सैंपल लिए जाते थे. जबकि बीते दो वर्षों में सैंपलों की संख्या 1000 के पार हो चुकी है. बीते साल मुरैना जिले में खाद्य पदार्थ के 41 सैंपल की रिपोर्ट फेल पाई गई थी, जिसमें पनीर और मावा में अमानक पदार्थ पाए गए थे. पनीर की जांच में मिल्क पाउडर, रिफाइंड ऑयल, आम केमिकल और लिक्विड डिटर्जेंट जैसे खतरनाक पदार्थ पाए गए. वहीं, ग्वालियर में बीते दो सालों में मावे के 109 सैंपल लिए गए, जिनमें से लगभग 20% सैंपल फेल पाए गए.

ऐसे करें नकली मावे की पहचान

2 सालों में 37343 सैंपल की जांच:वहीं, पूरे मध्यप्रदेश की अगर बात करें तो पिछले 2 सालों में मिलावट से मुक्त अभियान के तहत कॉल 37343 सैंपल की जांच स्टेट फूड लैबोरेट्री द्वारा की गई. इनमें से 6480 सैंपल जांच में फेल पाए गए. इसके साथ ही प्रदेश भर में कुल 605 व्यापारियों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. वहीं 45 व्यापारियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई. इसके साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल में पिछले 2 सालों में लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों पर रासुका की कार्रवाई की गई है.

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किस तरह तैयार होता है नकली मावा: नकली मावा तैयार करने के लिए सबसे पहले घटिया किस्म का मिल्क पाउडर लेते हैं और उसके बाद इसमें टेलकम पाउडर, चूना और सफेद केमिकल मिलाते हैं. नकली मावे के लिए दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, गठिया क्वालिटी का वनस्पति घी मिलाया जाता है जिससे उसमें फैट बन सके. वहीं मिलावट खोर मावे में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू, स्टार्च भी मिलते हैं. मावे में मिलाने वाले खाद्य पदार्थ शरीर पर काफी साइड इफेक्ट डालते हैं. जिससे लिवर, किडनी खराब होने की संभावना होती है और डैमेज हो सकते हैं. इसके साथ ही कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

शिवराज सरकार की करनी और कथनी में फर्क-कांग्रेस: ग्वालियर चंबल अंचल में बढ़ते मिलावटखोरों को लेकर कांग्रेस की लगातार सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि ''शिवराज सरकार की कथनी और करनी में बहुत बड़ा फर्क है. प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इन मिलावटखोरों के साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता मिले हुए हैं और वही यह सब कर रहे हैं. जब 15 महीने के लिए कमलनाथ सरकार आई तो पूरे मध्य प्रदेश में मिलावट करने माफिया की कमर तोड़कर रख दी और अब फिर से कांग्रेस की सरकार आने पर माफिया को छोड़ा नहीं जाएगा.''

मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरुरत: वहीं, इस मामले को लेकर ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार ने माना है कि अंचल में ऐसी शिकायत बहुत होती है और इन मिलावटखोरों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है. पिछले साल भी कड़ी कार्रवाई की गई थी और इस बार भी त्योहार पर फिर कार्रवाई करेंगे.

Last Updated : Aug 13, 2023, 12:35 PM IST

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