ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में प्रदेश के पुलिस मुखिया ने अपना जवाब पेश करते हुए कहा है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के मामले में फरियादी के साथ अभद्रता करने वाले तत्कालीन थाना प्रभारी अनिल रघुवंशी के खिलाफ विभागीय जांच के साथ ही एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश दिए गए हैं.
डीजीपी ने कोर्ट में दिया जवाब, कहा-दलित महिला से अभद्रता करने वाले थाना प्रभारी की 1 साल की वेतन वृद्धि रोकी
नाबालिग लकड़ी के साथ थाना प्रभारी के द्वारा की गई अभद्रता को लेकर हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच में DGP ने कहा कि आरोपी की 1 साल की वेतन वृद्धि रोकी गई है.
दरअसल हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में भिंड के कोतवाली थाना क्षेत्र में रहने वाली एक दलित महिला ने अपनी नाबालिग बेटी गायब होने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश की थी. जिसमें लड़की को हाई कोर्ट में पेश करने के आदेश कोर्ट ने भिंड पुलिस को दिए थे. पुलिस ने लड़की को 19 जून 2019 को पेश किया था पर लड़की नाबालिग थी इसलिए उसे माता पिता के साथ भेज दिया गया.
लेकिन लड़की की मां ने तत्कालीन थाना प्रभारी कोतवाली अनिल रघुवंशी पर घटना की शिकायत दर्ज करने के दौरान अभद्रता से पेश आने और जातिगत अपमान करने का आरोप लगाया था. इस पर हाईकोर्ट ने डीजीपी से उक्त थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया था. डीजीपी ने कोर्ट में सौंपे गए अपने जवाब में कहा है कि थाना प्रभारी अनिल रघुवंशी की एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी गई है इसके आदेश भी आई जी चंबल रेंज द्वारा जारी कर दिए गए हैं.