ग्वालियर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक दलित नाबालिग लड़की के दो बार अपरहण और दुष्कर्म करने वाले आरोपी की जमानत याचिका निरस्त करने को लेकर कानूनी पेच फंस गया है. खंडपीठ ने दो सीनियर एडवोकेट से इस मामले में कानूनी सलाह मांगी है कि सशर्त जमानत का उल्लंघन करने वाले आरोपी की याचिका किस स्थिति में निरस्त हो सकती है, जबकि आरोपी ने अपने बचाव में हाईकोर्ट इलाहाबाद के एक फैसले को कोट किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धारा 18 के तहत क्रिमिनल अपील पर एक बार जमानत देने के बाद उसे निरस्त करने का अधिकार कोर्ट को भी नहीं है.
दलित नाबालिग लड़की अपहरण मामला हाईकोर्ट ने उसे इस तरह का कृत्य दोबारा नहीं करने कोविड-19 के तहत जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं देने और पीड़ित पक्ष को नहीं धमकाने जैसी हिदायतों के साथ जमानत दी थी, लेकिन आरोपी ने 1 जुलाई 2020 को फिर से उसी लड़की का अपहरण कर लिया. इस बार फिर उसके खिलाफ कोतवाली में मामला दर्ज हुआ, पुलिस ने फिर लड़की को सीपू के कब्जे से बरामद कर उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया है.
आरोपी की जमानत याचिका को शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए निरस्त करने की मांग की गई, लेकिन आरोपी ने भी सीआरपीसी की धारा 362 के तहत हाई कोर्ट द्वारा अपनी जमानत को निरस्त करने का अधिकार नहीं होने का हवाला दिया. उसका कहना है कि अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धारा 18 के तहत उसे अपील में जमानत मिली है. इसलिए हाई कोर्ट को उसकी जमानत निरस्त करने का अधिकार नहीं है. उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला भी अपने समर्थन में आवेदन के साथ लगाया है. अब सोमवार को न्याय मित्र की सलाह पर हाई कोर्ट अगला कदम उठाएगा.
भिंड शहर के कोतवाली क्षेत्र से सितंबर 2019 में एक 14 साल की दलित नाबालिग लड़की का अपहरण हो गया था. जिसे सीपू उर्फ अवनीश समाधिया बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा ले गया था. लड़की की मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सीपू और लड़की को बरामद किया गया. लड़की के मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि हुई. आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट, अनुसूचित जाति अधिनियम, अपहरण सहित संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. वह लंबे अरसे से जेल में था इस साल 26 फरवरी को अनुसूचित जाति जनजाति की धारा 18 के तहत सेशन कोर्ट से जमानत याचिका निरस्त होने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में आवेदन लगाया था.