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20 माह में 654 सुसाइड! बेरोजगारी-तंगी, घरेलू कलह बन रही आत्महत्या की वजह, बच्चे भी जान देने में नहीं हैं पीछे

यूं ही कोई मौत को गले नहीं लगाता है, जब कोई अंदर से बिल्कुल ही टूट जाता है, जब जीने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती, तब कोई मरने का फैसला करता है, लेकिन मरना कोई विकल्प नहीं है, इंसान को आखिरी सांस तक लड़ना चाहिए. पिछले 20 महीने के खुदकुशी के जो आंकडे़ सामने आए हैं, वो बेहद चौंकाने वाले हैं क्योंकि कोरोना महामारी की दस्तक के बाद से ही नौकरी जाने और आर्थिक तंगी की वजह से घर में कलेश होने लगा, जिसके चलते आत्महत्या करने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी है.

654 suicide in 20 months during corona pandemic
ग्वालियर में 20 माह में 654 सुसाइड

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Published : Oct 11, 2021, 6:51 PM IST

ग्वालियर। प्रदेश के ग्वालियर जिले में खुदकुशी के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो बेहद परेशान करने वाला है, इन आंकड़ों ने सबके होश उड़ा दिए हैं. पुलिस विभाग ने बीते 20 महीने का आंकड़ा जारी किया है, पिछले 20 माह में कुल 654 लोगों ने खुदकुशी की है. इनमें सबसे ज्यादा बच्चे और युवा शामिल हैं, जबकि ज्यादातर लोग 18 से 45 वर्ष के हैं. आत्महत्या करने का सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी, आर्थिक परेशानी और डिप्रेशन का शिकार होना है. पुलिस भी मान रही है कि जब से कोरोना महामारी शुरु हुई है, तब से आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और छोटी-छोटी वजह भी खुदकुशी का कारण बनती जा रही है.

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नौकरी जाने-आर्थिक तंगी से बढ़ा घरेलू कलह

साल 2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई, उसके बाद लोगों की मानसिक स्थिति में काफी परिवर्तन हुआ है. यही वजह है कि अब संक्रमण की रफ्तार धीमी होने के बाद इसका असर भी साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. क्योंकि मरने वालों में ज्यादातर लोग 18 से 45 वर्ष के ही हैं, वही कोरोना काल में नौकरी गंवाने और आर्थिक परेशानी के चलते लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. इसकी वजह से जयारोग्य चिकित्सालय के मनोरोग विभाग की ओपीडी में 30 से 40 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं. कोरोना महामारी के दौरान नौकरी गंवाने और आर्थिक तंगी कारण घर में कलेश भी बढ़ा है. इस कारण लोग सबसे ज्यादा डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं.

ग्वालियर में 20 माह में 654 सुसाइड

छोटी-छोटी वजह बन रही खुदकुशी का कारण

पुलिस की मानें तो बीते 20 माह में 654 लोगों ने खुदकुशी की है. मुख्य बात यह है कि मरने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या ज्यादा है, जबकि कारणों की बात करें तो विशेषकर कोरोना के दौरान नौकरी जाना, आर्थिक परेशानी, पति-पत्नी के झगड़े, परिवार से दूरी जैसे माहौल से लोग मानसिक अवसाद के शिकार बन रहे हैं क्योंकि कोरोना काल में हजारों युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है, जबकि पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही है. इस वजह से वह डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं. कई युवा ऐसे भी हैं, जिनके बिजनेस पूरी तरह ठप हो चुके हैं और वह बर्बाद हो चुके हैं, ऐसे लोग सबसे ज्यादा मौत को गले लगा रहे हैं.

ग्वालियर में 20 माह में 654 सुसाइड

खुदकुशी की ये हैं पांच मुख्य वजहें

बेरोजगारी- कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा युवा वर्ग बेरोजगार हुए हैं, जिनके पास खुद के रोजगार थे, वह पूरी तरह से ठप हो चुके हैं और जो पढ़े-लिखे युवा हैं, उनको नौकरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में सबसे ज्यादा उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि वह डिप्रेशन में आकर खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं.

आर्थिक हालात- लोगों के आर्थिक हालात भी काफी खराब हो रहे हैं, बढ़ती महंगाई और संक्रमण के कारण चौपट रोजगार आत्महत्या करने का सबसे बड़ा कारण है, अधिकांश आत्महत्या करने वालों में 30 वर्ष से अधिक उम्र के युवा हैं, जिन्होंने आर्थिक हालात खराब होने के कारण आत्महत्या की है, साथ ही जिनके बड़े व्यापार हैं और वह बुरी तरह फेल हो चुके हैं, ऐसे लोगों ने भी आत्महत्या का रास्ता चुना है.

नशा- नशा आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है, इन 20 महीनों में शराब-स्मैक का नशा करने वाले युवाओ की संख्या अधिक रही है, महिलाओं ने नशे के कारण जान दी है, साथ ही शहर में इस समय अलग-अलग प्रकार का नशा दिख रहा है और युवा वर्ग डिप्रेशन का शिकार होकर नशे का आदी हो रहा है, उसके बाद वह आत्महत्या के रास्ते पर चल रहा है.

गृह कलेश- पति पत्नी और परिवार के बीच के झगड़े आत्महत्या का कारण बन रहे हैं. कोरोना संक्रमण काल में सभी परिवार एकजुट रहे हैं, ऐसे में सबसे ज्यादा गृह कलेश की स्थिति बनी है और यही वजह है कि लोगों ने इस दौरान सबसे ज्यादा आत्महत्या की है.

आत्महत्या रोकना पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज

ग्वालियर एसपी अमित साहनी के अनुसार नशा, गृह कलेश विशेषकर पति-पत्नी के झगड़े, आर्थिक हालात, बेरोजगारी, पोस्ट कोविड इफेक्ट जैसे कारण आत्महत्या की वजह बनी है, विभाग की टीम लगातार लोगों को जिंदगी का अर्थ समझाने का प्रयास कर रही है. खासकर डायल-100 को जैसे ही सूचना मिलती है, लोगों की जिंदगी बचाने पहुंच जाती है, लेकिन इन आंकड़ों को कम करने में हर इंसान और परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका है, अपने परिवार के लोगों पर ध्यान देना चाहिए कि वह क्या कर रहा है, क्या वह परेशान तो नहीं है? ऐसे कई लक्षण हैं, जिनसे पहचाना जा सकता है कि परिवार का अमुक सदस्य डिप्रेशन में है.

ऐसा करने से खुदकुशी का नहीं आयेगा ख्याल

मनोचिकित्सक डॉ संजय सक्सेना ने बताया कि ज्यादा पढ़ना-लिखना भी आत्महत्या की ओर ले जाता है क्योंकि उसी हिसाब से ख्वाब बढ़ते हैं और जब ख्वाब टूटते हैं तो इंसान टूट जाता है, कोविड टाइम में ज्यादातर युवा घर में ही रहे, ज्यादा समय तक घर में रहने से भी कलेश बढ़ा. इसके अलावा अकेलापन और टेंशन भी वजह है, जॉब न होना रिलेशनशिप जैसे बहुत सी वजहें हैं, युवाओं को अपनी क्षमता पर भरोसा करना चाहिए. अपनी योग्यता पर ध्यान देने से तनाव कम होगा.

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