Raghogarh Assembly Seat:एमपी विधानसभा के चुनाव की घोषणा हो चुकी है, राजनैतिक दल भी चुनाव की तैयारी में जुटे हैं. बीजेपी-कांग्रेस पूरे दमखम से सत्ता का युद्ध लड़ने को बेकरार है, सबकी निगाहें इस बार कुछ ऐसी वीआईपी सीट पर टिकी हैं जहां चुनाव नेता नहीं, जनता लड़ती है. ऐसी ही राजशाही सीट है मध्यप्रदेश निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 31 राघोगढ़. ये सीट रागौगढ़ राजघराने की जागीर बन चुकी हैं, कांग्रेस यहां पिछले 46 वर्षों से राजा, छोटे राजा या बाबा साहेब की बदौलत बुलंद है, तो वहीं बीजेपी अब तक यहां एंट्री की चाबी ढूंढ़ रही है. इस बार सीट से कांग्रेस ने जयवर्धन सिंह पर फिर से भरोसा जताया है. इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने धर्मेंद्र गजराम सिंह यादव और हीरेंद्र सिंह बंटी को चुनावी मैदान में उतारा है. आइये जानते हैं इस बार क्या समीकरण बन रहे राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र में.
राघोगढ़ विधानसभा सीट की खासियत:राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र राघोगढ़ राज परिवार की विरासत में शामिल है. विजयपुर में बना ऐतिहासिक किला आज भी बेहद खूबसूरत और सुसाजित है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. इसके साथ ही विधानसभा के विजयपुर में नैश्नल फर्टिलाइजर लिमिटेड द्वारा संचालित एक खाद फैक्ट्री भी है, जो देश की सबसे बड़ी खाद फैक्ट्रियों में शुमार है. यह इस क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार का अहम जरिया है.
राघोगढ़ विधानसभा सीट का पॉलिटिकल सिनारियो:राघोगढ़ विधानसभा राजशाही सीट मानी जाती है, इस सीट पर अब तक राघोगढ़ राज घराने का कब्जा है. यहां 1951 से अब तक 14 बार चुनाव हुए है, जब पहला चुनाव 1951 में हुआ था तब राघोगढ़ के राजा बलभद्र सिंह अखिल भारतीय हिंदू महासभा की और से स्वतंत्र चुनाव लड़े थे और पहले विधायक बने थे. इसके बाद यहां एक बार स्वतंत्र पार्टी और एक बार भारतीय जनसंघ को मौका मिला बाकी 12 बार चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में रही है.
कहा जा सकता है 1977 से अब तक यह सीट कांग्रेस का अभेद किला बनी हुई है, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (दिग्गी राजा) इसी सीट से 4 बार विधायक रहे, उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी दो बार यहां से चुनाव लड़कर विधायक बने. वहीं अब तीसरी पीढ़ी से दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह भी बीते 10 वर्षों से यहाँ विधायक हैं. कहा जा सकता है कि लाख कोशिशों के बावजूद बीते 46 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी यहां सेंध लगाने का सपना देख रही है.
2003 में तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद यहां का वोटर राघोगढ़ राजघराने से वफादारी निभा रहा है, जो यहां बीजेपी का खाता नहीं खुलने दे रहा है. अब 2023 विधानसभा में बीजेपी ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के घर में घुसने के लिए दिग्विजय सिंह के बेहद खास भरोसेमंद और करीबी रहे पूर्व विधायक मूल सिंह चौहान के बेटे 'हीरेंद्र सिंह बंटी बना' को बीजेपी से टिकट दिया है, लेकिन क्षेत्रीय नेताओं ने तो बीजेपी को प्रत्याशी बदलने लिए पत्र तक लिखा है. हालांकि कांग्रेस ने टिकट की घोषणा तो नहीं की, लेकिन यहां से वर्तमान विधायक जयवर्धन सिंह एक बार फिर चुनाव लड़ेंगे, इसमें दोराय नहीं है.
राघोगढ़ विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट:विधानसभा के पिछले चुनाव 2018 में हुए थे, इस चुनाव में राघोगढ़ सीट कांग्रेस के विधायक जयवर्धन सिंह को कांग्रेस ने दोबारा चुनाव लड़ाया था, उन्हें जनता के 98,268 वोट मिले थे. वहीं भाजपा ने भूपेन्द्र सिंह रघुवंशी को मौका दिया था, लेकिन वे 51571 वोट ही हांसिल कर सके और दूसरे नंबर पर आए, यहां जीत का अंतर 46,697 मतों का रहा.