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किसान से धोखाधड़ी के 21 साल बाद FIR, वेयर हाउस से बिना अनुमति बेची गई थी फसल

गुना के बीनागंज में वेयर हाउस में रखी फसल धोखाधड़ी कर बेचने के एक मामले में 21 साल बाद FIR दर्ज की गई है.

किसान से धोखाधड़ी के 21 साल बाद FIR,
किसान से धोखाधड़ी के 21 साल बाद FIR,

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Published : May 21, 2021, 12:54 AM IST

गुना। जिले के बीनागंज के एक किसान को अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बाद सिर्फ आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करवाने में 21 साल लग गए. किसान ने साल 1999 में धनिया की 417 बोरियां बीनागंज वेयर हाऊस में रखवाई थीं. एक साल के बाद जब किसान अपनी फसल लेने वेयर हाउस पहुंचा तो उसकी फसल धोखाधड़ी से बेचे जाने की जानकारी मिली. अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी के लिए ये किसान 21 साल से सिर्फ FIR दर्ज करवाने के लिए भटक रहा था, लेकिन अब जाकर किसान की FIR दर्ज हो पाई है.

किसान से धोखाधड़ी के 21 साल बाद FIR,

क्या है पूरा मामला ?

बीनागंज निवासी भैरूलाल साहू ने 31 मार्च 1999 को शासकीय राज्य भंडारण गृह बीनागंज में धनिया की 417 बोरियां अपने ससुर के साथ मिलकर रखवाई थीं. जिसकी रसीद भी उसने प्राप्त कर ली. उस समय धनिया का बाजार मूल्य एक लाख 96 हजार 695 रुपए आंका गया था. किसान भेरूलाल को कुछ रुपयों की आवश्यकता हुई तो उसने वेयर हाऊस प्रबंधक विजय अग्रवाल से बैंक से लोन दिलाने की बात कही. किसान का आरोप है कि विजय अग्रवाल ने बैंक से लोन देने की बजाए देवेन्द्र जैन के पास उसकी पर्ची गिरवी रखवा कर लोन दिलवा दिया.

व्यापारी ने बेची किसान की फसल

भेरूलाल ने बताया कि उधार लेने के बाद देवेंद्र जैन ने उसे पूरी रकम नहीं दी थी और करीब एक लाख 35 हजार रुपए दिए थे. इसके बाद वह व्यापार करने के लिए राजस्थान चलाया गया. जहां व्यापार में घाटा होने के बाद साल 2000 में भेरुलाल जब बीनागंज लौटकर अपना माल लेने देवेंद्र जैन के पास वापस पहुंचा तो उसे जानकारी मिली कि उसकी फसल तो बेची जा चुकी है.

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दूसरों के साथ न हो धोखाधड़ी

भेरूलाल का आरोप है कि वेयर हाऊस प्रबंधक से लेकर व्यापारी और जमा पर्ची प्राप्त करने में सहयोग करने वाले जमानतदार सभी मिले हुए हैं. क्योंकि प्रबंधक द्वारा जिस व्यापारी से ऋण दिलवाया गया, वह उसकी जान-पहचान वाला था. प्रबंधक ने बताया कि व्यापारी देवेंद्र जैन के मकान में वह किराए से रहता है. इसके अलावा देवेंद्र जैन ने जिस जमानतदार रमेश चिढ़ार का जिक्र किया है, वह भी उससे संबंधित नहीं है. ऐसे में स्पष्ट है कि तीनों मिलकर उसकी धनिया की उपज हड़प ली है. तीनों ने भेरूलाल की अनुमति के बिना धनिया की फसल अशोक पालीवाल नामक व्यापारी को बेच दी. भेरूलाल के मुताबिक वह न्याय इसलिए भी चाहता है कि उसके साथ हुई धोखाधड़ी की वारदात भविष्य में किसी अन्य किसान के साथ न हो.

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