डिंडौरी। मां तुम कहां हो, मां मुझे अपने सीने से लगा लो, मैं तुम्हारे आंचल की छांव में ही रहना चाहती हूं, तुम्हारी अंगुली पकड़कर ही चलना चाहती हूं. मुझे इस तरह छोड़कर मत जाओ मां. मां, मैं बेटी हूं तो इसमें मेरा क्या कसूर. अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ती नवजात मन में यही सोच रही होगी कि आखिर उसका कसूर क्या था, जो अपने गर्भ में 9 महीने तक पालने वाली मां जन्म के बाद 9 दिन भी साथ नहीं रखी और उसे बेसहारा छोड़कर चली गयी.
सुंदरता की चाहत में मां ने अपने जिगर के टुकड़े को बेगाना किया या बेटी पैदा हो जाने की वजह से उसने दूध पिलाने से मना कर दिया, वजह चाहे जो भी हो, लेकिन ये कहानी दिल को झकझोर जाती है, कोई मां इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि जन्म के ठीक बाद उसे उसकी दादी के पास छोड़ गयी. महिला की मां ने ही उसे बताया था कि यदि वह अपनी बेटी को दूध पिलाती है तो उसके चेहरे की रंगत चली जाएगी. जिसके चलते वह अपना दूध निकालकर फेंक तो देती थी, पर बेटी को नहीं पिलाती थी.