धार। पहले ओला फिर बारिश और अब उसके बाद लॉकडाउन से किसानों की कमर टूट चुकी है. वहीं कोरोना महामारी के इस लॉकडाउन फसलों को मंडी तक पहुंचने से रोक दिया है. विपरीत हालात में भी किसान ने मेहनत कर फसल तो अच्छी उगा ली, लेकिन अब उसे बेचने के लिए उसके पसीने निकल रहे हैं. ऐसा ही कुछ हाल है धार के गेहूं किसानों का, जो किसी अपनी उपज बेचने के लिए मंडी तक तो पहुंच रहा है, लेकिन ट्रैक्टरों की लंबी कतारों में रुक जा रहा है.
लॉकडाउन में मध्यप्रदेश के गेहूं किसानों को राहत देने के लिए मध्यप्रदेश में 15 अप्रैल से गेहूं खरीदी शुरू कर दी गई है, एसएमएस के माध्यम से किसानों को गेहूं खरीदी केंद्र पर बुलाया जा रहा है और उनसे गेहूं खरीदी की जा रही है, लेकिन किसान जब मंडी पहुंचता है को रास्ते में ही उसे वाहनों की कतारें मिल जाती हैं. 1 किलोमीटर से अधिक लंबी गेहूं से भरे ट्रैक्टरों की लाइनों में किसान अपने गेहूं तुलाई का नंबर आने का इंतजार कर रहे हैं. कई बार तो यह समय 4 से 5 दिन का हो जाता है.
गेहूं खरीदी केंद्र कि जमीनी हकीकत
कोरोना संकट काल में सरकार लगातार मंडियों को निर्देश दे रही है, कि मंडियों में कोरोना से बचाव की पूरी तैयारी की जाए. किसान गेंहू लेकर पहुंचे तो उसे सैनिटाइजर दिया जाए उसके लिए पीने के पानी और छाव की सहीं व्यवस्था की जाए साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए की लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, लेकिन हालत कुछ और ही हैं. गेहूं खरीदी केंद्र पर हम्माल बोरियों में गेहूं भर रहे हैं और परिवहन के लिए गाड़ियों में उनको लोड भी कर रहे हैं, लेकिन इस दौरान उनके चेहरे पर मास्क नहीं होता और न ही किसानों को सेनिटाइजर दिया जा रहा है. संक्रमण फैलने का भी खतरा बढ़ रहा है.