धार।भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन इस साल 3 अगस्त को है. साल भर में एक बार आने वाले इस त्योहार में बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन से हर मुसीबत से रक्षा करने का वादा करता है. इस त्योहार के लिए महीने भर पहले से बाजार सज जाते थे और बहनें अपने भाई के लिए राखी खरीदने और भाई के घर जाने की तैयारियों में जुट जाती थीं. लेकिन इस साल न तो बाजार अच्छे से सजे हैं और न हीं बहनें आसानी से अपने भाई के घर पहुंचने वाली हैं. इस साल रक्षाबंधन के त्योहार पर कोरोना का ग्रहण लग गया है.
लॉकडाउन की वजह से बसें और सभी पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से बंद हैं, जिस वजह से रक्षाबंधन के मौके पर बहनों को अपने मायके जाने के लिए निजी वाहनों या फिर किराए के वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जो कि उनकी जेब पर काफी भारी पड़ रहा है. वहीं बाजार में राखियां भी काफी महंगी हैं जिस वजह से राखी खरीदने वाली बहनें काफी परेशान हैं. इस मंदी के दौर में राखी का त्योहार बहनों को महंगा पड़ रहा है. लॉकडाउन और शासन के सख्त नियम के चलते बाजार में राखी के ग्राहक कम पहुंच रहे हैं, जिससे राखी के व्यापारी भी खासे परेशान हैं. इस तरह भाई-बहन के अटूट रिश्ते के रक्षाबंधन के त्योहार पर कोरोना का ग्रहण त्योहार की रौनक फीकी कर रहा है.
ट्रांसपोर्ट बंद होने से बहनें परेशान
स्थानीय कीर्ति दसोन्दी और रजनी बताती हैं कि राखी के इस पावन पर्व पर कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बसें बंद हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के कई साधनों के पहिए भी थमे हुए हैं, जिससे राखी पर अपने घर जाने के लिए हमें निजी वाहनों या फिर किराए के वाहनों से जाना पड़ रहा है. किराए के वाहनों का किराया बहुत ज्यादा है. वहीं बाजार में राखियां भी काफी महंगी मिल रही हैं, जिससे इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से राखी का त्योहार उन्हें महंगा पड़ रहा है.
संक्रमण का डर