धार। मनुष्य, पशु और पेड़-पौधों के लिए सुपाच्य भोजन बेहद जरूरी होता है. सुपाच्य भोजन से पशुओं और पेड़-पौधों को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उनको ग्रोथ करने में मदद मिलती है. ऐसा ही सुपाच्य पोषक आहार अजोला (Azola) भी है, जिसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, खनिज लवण, अमीनो एसिड और बायोएक्टिव पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं, जिसे सुपाच्य पोषक आहार माना जाता है. इन दिनों धार जिले में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को अजोला लगाने के लिए जागरुक किया जा रहा है. साथ ही इसके फायदे और इससे होने वाले लाभ के बारे में भी बताया जा रहा है.
क्या होता है अजोला
अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधे की एक प्रजाति है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में जलीय फर्न कहा जाता है. जो शैवाल से मिलती-जुलती है. ये सामान्यतः धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है, जो बहुत ही तेजी से बढ़ती है. ये एक अति पोषक छोटा पौधा है, जिसकी बारीक पत्तियां बेहद सुंदर दिखती है.
अजोला के फायदे
अजोला से किसानों को दोहरा फायदा हो सकता है, एक ओर जहां किसान इसकी खेती कर इसे बाजार में बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है, तो वहीं दूसरी ओर इसे अपने दुधारू पशुओं को खिलाकर उनकी दूध देने की क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं. साथ ही मुर्गियों और बकरियों के लिए भी ये बेहद उपयोगी पोषक आहार है.
- इसका उत्पादन बहुत ही सरल है और पशुओं के लिए बेहद लाभदायक है.
- पशुओं में दूध देने की क्षमता को बढ़ाता है.
- इससे पशुओं की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
- पशुओं के लिए ये एक पोषक आहार माना जाता है.
- किसानों की आमदनी बढ़ती है.
- पशुओं में प्रजनन शक्ति भी बढ़ती है.
बेहद कम खर्च में तैयार होता है अजोला
धार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक केएस किराड ने कहा कि अजोला सुपाच्य पोषक आहार है, जो पशुओं को खाने में बहुत ही अच्छा लगता है. अजोला खासकर उन क्षेत्रों में ज्यादा उपयोग में लाया जाता है, जहां पर हरे-चारे की परेशानी होती है, ऐसे में इसे बहुत ही कम खर्च में तैयार किया जा सकता है, जिसका बीज बाजार में 100 से 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है. अजोला को पानी के गड्ढों या टंकियों में तैयार किया जाता है, जिसे तैयार करने के लिए गोबर और मिट्टी का घोल बनाकर पानी में मिला दिया जाता है और यह 20 से 25 दिनों में ही तैयार हो जाता है.