दमोह।दमोह में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया, उसके बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव तो अब परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की ठन गई है. लगातार एक के बाद एक नेताओं और मंत्रियों से प्रहलाद पटेल की रार क्यों हो रही है, यह आमजन को समझ नहीं आ रहा है. लेकिन इसके राजनीतिक मायने आसानी से समझे जा सकते हैं. जयंत मलैया और गोपाल भार्गव के बाद अब गोविंद राजपूत से उनकी अनबन शुरू हो गई है.
कैसे शुरु हुई तनातनी :मामले की शुरुआत जिला पंचायत चुनाव से हुई. गौरतलब है कि पिछले दिनों जिला पंचायत के चुनाव में गोविंद राजपूत के भतीजे को चुनाव हराने वाले सर्वजीत सिंह को मीठा खिलाकर प्रहलाद पटेल ने गोविंद राजपूत के जले पर एक तरह से नमक छिड़कने का काम किया था तो दूसरी ओर उनके बड़े भाई हीरा सिंह राजपूत की जिला अध्यक्ष पद को लेकर दावेदारी पर भी अवरोध पैदा किया था. इसके बाद अब दोनों नेताओं में सीधे-सीधे राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है.
भोपाल में कराई घोषणा :दो दिन पहले ही उज्जवल भारत उज्जवल भविष्य के तहत बिजली महोत्सव के कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष होते हुए भी गोविंद राजपूत ने उसमें शिरकत नहीं की थी. इतना ही नहीं गोविंद राजपूत ने दमोह जिले की हर्रई सीट से निर्वाचित पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंद्रभान सिंह की पत्नी जानकी देवी को भोपाल ले जाकर न केवल मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात करवाई बल्कि उन्हें जिला पंचायत दमोह के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की तरफ से अधिकृत प्रत्याशी के रूप में घोषणा भी करा दी. एक तरह से प्रभारी मंत्री गोविंद राजपूत ने प्रहलाद पटेल के उस प्रयास को पूरी तरह विफल कर दिया, जिसमें वह अपना मनचाहा जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाना चाह रहे थे.