दमोह।सागर का बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) अजब-गजब है. यहां पर आए दिन कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है कि वह सुर्खियां बन जाती हैं. ताजा मामले ने मेडिकल कॉलेज पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं. हड्डीरोग विभाग में 10 साल की बच्ची के पैर के दूसरे ऑपरेशन में डॉक्टरों ने बड़ी लापरवाही की है. ऑपरेशन के बाद से बच्ची को दोनों आंखों से दिखना बंद हो गया है. अब डॉक्टर अपनी गलती को छिपाने के लिए परिजनों पर जबरन भोपाल ले जाने का दबाव बना रहे हैं.
बिना जांच किये ऑपरेशन:जानकारी के अनुसार, बंडा निवासी माखन लोधी की 10 वर्षीय बेटी रिया का तीन महीने पहले एक्सीडेंट हो गया था. उसके पैर का ऑपरेशन कर घुटने और जांघ के बीच हड्डी रॉड (इम्प्लांट) डाली गई थी. 21 जुलाई को उसे दोबारा दूसरे ऑपरेशन के लिए बीएमसी बुलाया गया था. जिसमें उसके पैर की हड्डी से रॉड वापस निकालना था. लेकिन बच्ची को तेज बुखार था, यह बात उसके परिजनों ने स्टाफ को बताई थी. लेकिन मेडिकल स्टॉफ ने परिजनों की कोई बात नहीं सुनी. डॉक्टरों ने भी बिना जांच किए ही उसका ऑपरेशन कर दिया. करीब 2 घंटे के ऑपरेशन के बाद बच्ची को बाहर नहीं लाया गया बल्कि उसे पीआईसीयू (Pediatric Intensive Care Unit) में भर्ती कर दिया गया.
होश आया तो बच्ची बोली मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा:जब 9 साल की बच्ची को होश आया तो उसने कहा कि मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. बच्ची की मां सविता लोधी का कहना है कि ''डॉक्टरों ने बड़ी लापरवाही की है. उन्हें बताया भी गया था कि बच्ची को बुखार है लेकिन उन्होंने जबरन ऑपरेशन कर दिया. 9 दिन बाद भी उसको ठीक तरह से दिखाई नहीं दे रहा है. अभी भी उसको बहुत हल्का ही दिखता है. जिससे वह लोग घबराए हुए हैं''.