दमोह।शादी-विवाह के सीजन में शहनाई बजाकर बारात की शोभा बढ़ाने वाले लोग भी लॉकडाउन के दिनों में अपनी खुशियां खो चुके हैं. दूसरे की खुशी में चार चांद लगाने वाले ये लोग अब अपनी मुस्कान को तरस रहे हैं. साल भर मेहनत करने वाले ये लोग अपने कमाई के दिनों में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. क्योंकि इनका धंधा ही मंदा नहीं बल्कि बंद हो गया है. हम बात कर रहे हैं बैंड बाजा शहनाई बजाने वाले कलाकारों की, जो इस कला से अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन में अब उनके सामने बेरोजगारी के संकट छा गए हैं.
बैंड वाले लॉकडाउन में परेशान लॉकडाउन में लगा खुशियों पर ग्रहण
दमोह जिला मुख्यालय के साथ पूरे जिले में हजारों ऐसे कलाकार हैं जो शहनाई बजाकर बैंड बजाकर अपना घर चलाते थे. हर साल वो शादियों के सीजन में दिन-रात काम करते थे. ताकि उनका घर चल सके. लेकिन लॉकडाउन के दौरान इनकी खुशियों को ग्रहण लग गया है. शादियां बंद है तो इनका रोजगार भी पूरी तरह से बिखर गया. यह लोग विशेष रूप से गर्मी के सीजन में ही आने वाले विवाह कार्यक्रमों में इतना पैसा कमा लेते थे जिससे उनका सालभर का घर खर्च चल जाता था.
बैंड नहीं बजने से हो रहा रोजी-रोटी का संकट सरकार से मदद की गुहार
सीजन के वक्त में ही लगे लॉकडाउन में इनके साल भर के जीवन यापन पर ताला जड़ दिया है. शहनाई पार्टी, बैंड पार्टी, बैंड धमाल पार्टी सहित कई नामों से ये कलाकार अपनी कला से पैसा कमाते थे. लेकिन अब ये लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे क्योंकि इनके सामने लॉकडाउन के दिनों में चंद घंटे के लिए खोले जा रहे बाजार से भी पैसा आने की उम्मीद नहीं है. शादियां बेहद सादे तरीके से हो रही हैं.ऐसे में बैंड वालों को को बुलाया ही नहीं जा रहा. लॉकडाउन के दौरान छोटे तबके के मजदूरों, व्यापारियों, दुकानदारों के लिए शासन ने रियायत दी है. लेकिन बैंड वालों को कोई रियायत नहीं दी गई है.ऐसे में ये सभी बैंड वाले सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं. ताकि उनका भी घर चल सके.