दमोह। दमोह के छोर पर स्थित300साल पुराना मां बड़ी देवी का दरबार भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है.बुंदेलखंड के लोग इस दरबार को बड़ी बऊ का दरबार भी कहते हैं.नवरात्र के समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.भक्तों का मानना है कि यह दरबार भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करता है.
लोगों की आस्था का केंद्र मां बड़ी देवी का दरबार ये है दरबार का इतिहास
दमोह में रहने वाला हजारी परिवार कानपुर के पास एक गांव से3सौ साल पहले मां महाकाली,मां महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हुए दमोह लेकर आया था.माता के स्वप्न के अनुसार हजारी परिवार ने दमोह के इस स्थान पर विश्राम किया था और उसके बाद से ही मां की प्रतिमाएं यहीं पर स्थापित हो गई.पहले तो हजारी परिवार द्वारा खेत के बीच बने छोटे से मंदिर में इन तीन प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की जाती थी,लेकिन कालांतर में यह माता की तीन प्रतिमाएं दमोह की कुलदेवी बन गई और सभी लोग बड़ी देवी के नाम से इस स्थान को जाने लगे.
भक्तों का कहना है कि मां बड़ी देवी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती है.यही कारण है कि नवरात्र के9दिन तक यहां पर अखंड कीर्तन के माध्यम से मां की भक्ति लगातार की जाती है.