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सीएम के गृह जिले में मक्के ने निकाला किसानों का दिवाला, मदद की आस में अन्नदाता - छिंदवाड़ा में मक्के की फसल बर्बाद

देश भर में कार्न सिटी के नाम से मशहूर छिंदवाड़ा जिले में इस बार हुई जोरदार बारिश की वजह से किसानों की मक्का फसल बर्बाद हो गई है. किसानों का कहना है कि उनकी 50 फीसदी से भी ज्यादा फसल बर्बाद हो चुकी है. जिससे फसल की लागत तक नहीं निकल पा रही है.

मक्के की फसल बर्बाद

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Published : Nov 7, 2019, 7:57 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 12:05 AM IST

छिंदवाड़ा।हाल ही में आसमान से बरसी आफत ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. देश भर में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन के लिए मशूहर प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इस बार इसी मक्के ने किसानों का दिवाला निकाल दिया है. आलम ये है कि मक्के की खेती में किसानों की लागत तक नहीं निकल रही है.

सीएम के गृह जिले में मक्के ने निकाला किसानों का दिवाला

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार छिंदवाड़ा जिले में 298.800 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी, लेकिन अधिक बारिश से 50 प्रतिशत से भी ज्यादा फसल बर्बाद हो चुकी है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रति हेक्टेयर मक्का का उत्पादन 4340 किलो होना चाहिए, लेकिन इस बार इसके उत्पादन की उम्मीद 2000 किलो प्रति हेक्टेयर बताई जा रही है.

अतिवृष्टि से खराब हुए मक्के के दाने

करीब 8 हजार किसान प्रभावित
छिंदवाड़ा जिले में हुई अधिक वर्षा के चलते 50 फीसदी से अधिक फसल नष्ट होने वाले किसानों की संख्या 7950 है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रति हेक्टेयर मक्का का उत्पादन 4340 किलो होना चाहिए. जहां पर अधिक वर्षा के चलते फसल प्रभावित हुई है, वहां पर इस बार सिर्फ 2000 किलो प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने की ही संभावना है.

सड़ने लगा मक्का

पिछली तुलना में 19 लाख हेक्टेयर में ज्यादा हुई मक्का की खेती
देश भर में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा मक्का की खेती में लगातार विकास कर रहा है. पिछले वर्ष के आंकड़ों पर गौर करे तो छिंदवाड़ा जिले में कुल 279 लाख हेक्टेयर जमीन में मक्का लगाया गया था. जबकि इस बार जिले में पिछले साल की तुलना में मक्के का रकवा कुल 298.800 लाख हेक्टेयर में हो गया है. पिछले एक साल में करीब 19 लाख हेक्टेयर में मक्का की फसल की बढ़ोतरी हुईहै.

बर्बाद हुई मक्के की फसल

किसानों को अब तक नहीं मिली सरकारी सहायता
हमेशा से अपनी किस्मत के बल पर खेती करने वाले किसान को इस बार भी सरकारी सहायता की उम्मीद तो है, लेकिन अब तक उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है. मुख्यमंत्री के गृह जिले में होने के बाद भी किसानों को किसी तरह की राहत की आस दिखाई नहीं दे रही है. किसानों का साफ कहना है कि सरकारें और प्रशासन वादे तो बहुत करती है लेकिन होता कुछ भी नहीं है.

बारिश से गीला हुआ मक्का
Last Updated : Nov 13, 2019, 12:05 AM IST

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