छिंदवाड़ा। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी लगातार जारी है, ये मजदूर बड़ी मुश्किलों से अपने गांव पहुंच रहे हैं, पर जिस रोटी की तलाश में मजदूर गांव छोड़े थे, रोजी-रोटी छिन जाने के बाद उसी गांव में लौट आए हैं. ऐसे में मनरेगा योजना इनके लिए संजीवनी साबित हो रही है, मजदूरों की मानें तो अब वे अपना गांव छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहते. बस गांव में उनके रोजी-रोजगार का जुगाड़ हो जाए, मजदूरों का कहना है कि वे अब गांव में ही रहकर काम करने के बारे में सोच रहे हैं. इसलिए अब जो करेंगे, गांव में ही करेंगे.
घर पहुंचे मजदूरों ने ली चैन की सांस, कहा- अब नहीं जाना शहर
रोजगार की तलाश में पलायन कर गए मजदूर लॉकडाउन के बाद से घर लौटने लगे हैं, घर पहुंचने के बाद मजदूर सुकून की सांस ले रहे हैं और कह रहे हैं कि अब बाहर नहीं जाना है, अब गांव में ही अपनों के बीच रहना है.
लॉकडाउन के बाद से मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था और परिवार पालना मुश्किलें होने लगा था. जैसे-तैसे अपने घर तक पहुंचने की जद्दोजहद कर बस, ट्रेन, पैदल जैसे तैसे सड़क नापते घर पहुंच गए हैं, घर पहुंचे मजदूरों ने गांव से बाहर जाकर दूसरे राज्य और जिले में जाकर काम न करने का मन बना लिया है. मजदूरों ने बताया कि अब वे अपना घर छोड़कर दोबारा कहीं नहीं जाना चाहते. वे अपने परिवार के साथ अपने गांव में ही रहना चाहते हैं.
मजदूरों ने ईटीवी भारत से कहा कि वे अब अपने गांव में ही काम कर अपना परिवार पालेंगे और उनके साथ सुख-शांति से रहेंगे. अब उनका मोह शहरों से भंग हो गया है. अधिकारियों का कहना है कि वापस आए मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है, जिससे वे अपनी रोजी-रोटी चला सकें. जो वापस अपने गांव आए हैं, उनमें से काफी मजदूर मनरेगा योजना के तहत काम कर रहे हैं. सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए काम कराया जा रहा है.