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सीएम ने कुदाली चला किया था शौचालय बनवाने का वादा, फिर भी जंगल में जाने को मजबूर आदिवासी महिलाएं

छतरपुर जिले के सूरजपुरा पंचायत में आज से करीब तीन साल पहले एक आदिवासी गांव में सीएम शिवराज सिंह ने खुद कुदाली चलाकर शौचालय की सौगात देने का वादा किया था. तीन साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी महिलाएं जंगल में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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अजब MP का गजब शौचालय !

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Published : Nov 26, 2020, 9:08 PM IST

छतरपुर।करीब तीन साल पहले CM शिवराज सिंह चौहान ने छतरपुर जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव में खुद कुदाली चलाकर आदिवासियों को शौचालय की सौगात देने का वादा किया था. इस दौरान उन्होंने एक आदिवासी महिला चंद्रानी आदिवासी को अपनी बहन कहा था. आज करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी महिलाएं शौचायल का उपयोग करने के लिए तरस रही हैं.

अजब MP का गजब शौचालय !

बहुत खास है ये गांव

जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर सूरजपुरा पंचायत का छोटा सा आदिवासी गांव पुरवा अपने आप में एक अलग महत्व रखता है. इसकी वजह ये है कि यहां खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुंहबोली बहन रहती हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान 2017-18 में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान यहां आए थे. उन्होंने एक आम सभा भी की थी, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा कई अन्य मंत्री भी शामिल हुए थे.

अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ें शौचालय

शिवराज सिंह चौहान ने यहां रहने वाली एक आदिवासी महिला चंद्रानी आदिवासी को अपनी बहन बताया था. साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने खुद इन शौचालय निर्माण के लिए कुदाली मारते हुए शौचालयों की नींव रखी थी. लेकिन अब करीब तीन साल बीत जाने के बाद भी आज तक यह महिलाएं इन शौचालयों का उपयोग नहीं कर पा रही हैं. मजबूरन सभी महिलाओं को शौच के लिए जंगल जाना पड़ता है.

मुंहबोली बहन को दिया था मकान

सीएम शिवराज ने इस गांव में रहने वाली एक आदिवासी महिला चंद्रानी को अपनी मुंह बोली बहन मानते हुए उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का एक मकान सुपुर्द किया था. साथ ही उन्हें शौचालय के लिए 11000 रुपए का एक चेक भी दिया था. सीएम शिवराज ने कहा था कि इस पुरवा में रहने वाले सभी आदिवासी महिलाएं मेरी बहन के समान हैं. हम चाहते हैं कि इस पुरवा में रहने वाली एक भी बहन शौच करने के लिए बाहर न जाए. इसके लिए सीएम शिवराज ने कुदाली उठाकर खुद गड्ढा भी खोदा था.

बदहाल टॉयलेट

अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ें शौचालय

किसी शौचालय में गड्ढा नहीं है तो किसी में जगह नहीं है. किसी शौचालय के अंदर अब तक सीट ही फिट नहीं हुई है तो कहीं शौचालय स्टोर रूम बन गए हैं. पुरवा में रहने वाली तमाम आदिवासी महिलाएं शौचालयों का उपयोग शौचालय के रूप में न करके बाकी कई तरीकों से कर रही हैं. जैसे कि शौचालयों में कंडे रखना, घास-पूस और चारा रखना, लकड़ियां रखना यहां तक कि शौचालय का प्रयोग रसोईघर के रूप में करना.

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जंगल में जाने को मजबूर आदिवासी महिलाएं

पुरवा में करीब 30 से 40 परिवार रहते हैं. इन सभी परिवारों की महिलाएं खुले में शौच को जाने के लिए मजबूर हैं. शौचालयों में अव्यवस्थाओं के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गांव में कई जगह बने टॉयलेट टूट-फूट चुके हैं, वहीं कई टॉयलेट का काम अधूरा पड़ा है. जिस वजह से वे बाहर जाने को मजबूर हैं.

स्टोर रूम बना टॉयलेट

भूल गए शिवराज अधिकारियों ने बनाई दूरी

आदिवासी पुरवा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आम सभा को करीब तीन साल बीत गए हैं. प्रदेश में एक बार उपचुनाव भी हो गए हैं. लेकिन ऐसे में गांव की महत्वता और ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि, शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से पहले यहां रहने वाली आदिवासी महिलाओं को बाहर शौच मुक्त करने का वादा किया था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह वादा चुनावी शिगूफा निकला और चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस गांव की ओर कभी ध्यान नहीं दिया. वहीं अधिकारियों ने भी इस गांव से दूरियां बना लीं. दो-चार आधे-अधूरे शौचालय बनने के बाद किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर यह आदिवासी महिलाएं शौचालय का उपयोग कर रही हैं या नहीं.

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