छतरपुर। कहते हैं इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हों, तो परिस्थितियां कैसी भी हों, व्यक्ति अपनी पहचान बना लेता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छतरपुर जिले में रहने वाली 25 साल की अनुश्री गुप्ता ने.
अनुश्री गुप्ता बिजावर नगर की रहने वाली हैं. उनके द्वारा बनाई गई स्केच पेंटिंग इन दिनों न केवल भारत में बल्कि कई अन्य देशों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है. आर्थिक हालातों से जूझ रही अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी. सब कुछ ठीक हो जाएगा. वह न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में पेंटिंग के जरिए अपना नाम रोशन करना चाहती हैं.
अनुश्री गुप्ता ने 2020 में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में 17वां स्थान प्राप्त किया था. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में होने वाली अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता 2020 में भी अपना कारनामा प्रदर्शित किया था. वहीं अनुश्री कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार भी जीत चुकी हैं.
आर्थिक हालात ठीक नहीं
अनुश्री गुप्ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उनकी मां रागिनी गुप्ता सरस्वती स्कूल में शिक्षिका हैं. उन्हें मात्र तीन हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलता है, जबकि पिता दिनेश गुप्ता एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं.
अनुश्री की मां रागिनी बताती हैं कि परिवार की हालत ठीक नहीं है. इसलिए हम अपनी बेटी के लिए वो सारे संसाधन नहीं जुटा पा रहे हैं, जिसकी उसे जरूरत है. स्थिति यह है कि कैनवास स्टैंड न होने के कारण बेटी जमीन पर बैठकर कलाकृतियां बनाती है.
अनुश्री मानती हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. यही कारण है कि उन्हें अपनी पेंटिंग और स्क्रैचिंग के लिए आवश्यक टूल किट मिलती है. आर्थिक संकट इतना अधिक है कि कभी-कभी ब्रश और कैनवास स्टैंड को पेंट करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता हैं.