कांकेर/भोपाल। छत्तीसगढ़ का कांकेर सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है, लेकिन इन सुंदर पहाड़ियों में दिखने वाले चट्टानों की अपनी एक अलग विशिष्टता है. एक नजर में ये पत्थर आम से लगते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं. छोटे पत्थरों के ऊपर बड़ी चट्टानें टिकी हुईं है, तो कहीं बड़े पत्थरों में छोटे पत्थर चढ़े हुए दिखाई पड़ते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पत्थर गिरने ही वाला है. यकीन करना मुश्किल होता है. जब तेज आंधी और तूफान भी इन पत्थरों को टस से मस नहीं कर पाते. इन विशाल लटकते पत्थरों की अपनी अलग पहचान है. जिसे बैलेंसिंग रॉक या समतोल चट्टान कहा जाता है.
पहचान के लिए मोहताज 'बैलेंसिंग रॉक'
देश में जबलपुर, महाबलीपुरम समेत कई जगहों पर बैलेंसिंग रॉक पाए जाते हैं. जिसे पर्यटन के रूप में विकसित भी किया गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय के आस-पास की पहाड़ियों में स्थित बैलेंसिंग रॉक को अब तक पहचान नहीं मिल सकी. ना ही इसे संरक्षित करने की कोई कोशिश की गई है. हालात यह है कि पहाड़ों की चट्टानों को चीर कर गिट्टियां निकाली जा रही है. इससे इन बैलेंसिंग रॉक के खत्म होने का भी खतरा मंडरा रहा है.
'वर्षों से यू हीं एक दूसरे से जुड़े हैं ये पत्थर'
स्थानीय लोगों के मुताबिक वर्षों से ये पत्थर एक दूसरे से जुड़े हैं. एक दूसरे के ऊपर टिके हैं. भूकंप, बारिश और तूफान में भी ये पत्थर ऐसे टिके रहते हैं. ETV भारत से बातचीत में स्थानीय निवासियों ने इसे कुदरत का करिश्मा बताया.यहां के स्थानीय निवासियों को बैलेंसिंग रॉक क्या है ये नहीं पता. उनकी मांग है कि इसे सरकार की तरफ से पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहिए. बस्तर जितना खूबसूरत है, उतने ही रोमांच से भरा हुआ है. इन चट्टानों को देखकर लगता है, जैसे किसी जादू ने इन्हें जोड़ दिया हो.इनकी तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिससे यहां पर्यटन के नए रास्ते खुले और लोगों को यहां की अनोखी चीजों के बारे में पता चल सके.