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याद रहेंगे बाबूजी: अमिट स्मृतियां छोड़ पंचतत्व में विलीन हुए राजनीति के 'मोती'

पत्रकारिता से सियासत में आये कांग्रेस के बाबूजी अनंत सफर पर चले गए हैं. मोतीलाल वोरा जिन्हें सियासत के 'बाबूजी' भी कहते थे. मोतीलाल वोरा को लोग प्यार से दद्दू भी बुलाते थे. राजनीति में एक लंबी सियासी पारी खेली. 92 साल के मोतीलाल वोरा अपने आखिरी दिनों में भी काफी ऐक्टिव रहे. कांग्रेस पार्टी में दो दशक तक कोषाध्यक्ष रहने के साथ उन्होंने कई बड़ी जिम्मेदारियों को भी संभाला. बताते हैं, मोतीलाल वोरा कोषाध्यक्ष के रूप में पार्टी की पाई पाई का हिसाब रखते थे और कफी भी एक पैसा फिजूल खर्च नहीं होने देते थे.

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याद रहेंगे बाबूजी

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Published : Dec 22, 2020, 8:21 PM IST

रायपुर/भोपाल: कांग्रेस के अमिट हस्ताक्षर, कालजयी स्तम्भ और हरदिल अजीज मोतीलाल वोरा पंचतत्व में विलीन हो गए. बड़े बेटे अरविंद वोरा ने मुखाग्नि दी. दुर्ग के शिवनाथ नदी में बने मुक्तिधाम में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अपने नेता की अंतिम यात्रा देखने जुटे लोग बेहद भावुक और गमगीन नजर आए. इस पल के साक्षी बने हर शख्स की आंखें भर आईं.

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मोतीलाल वोरा असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे. यही वजह है कि उनकी पार्टी के नेता ही नहीं विचारधारा को लेकर मतभेद के बावजूद विपक्षी दलों के बड़े नेता भी इस जननेता के आखिरी दर्शन के लिए पहुंचे. इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ छत्तीसगढ़ बीजेपी के तमाम नेता शामिल रहे.

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बीजेपी के नेताओं के साथ भूपेश कैबिनेट के सभी मंत्री और विधायकों ने सदन से लेकर उनके आवास पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि दी. उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत और महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे.

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21 दिसंबर को ली थी आखिरी सांस

सोमवार 21 दिसंबर को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. मंगलवार 22 दिसंबर को उनका पार्थिव शरीर रायपुर एयरपोर्ट लाया गया, जहां से उन्हें कांग्रेस मुख्यालय रायपुर के राजीव भवन ले जाया गया. राजीव भवन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत मंत्रिमंडल के सदस्यों ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि अर्पित की.

सीएम भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मरकाम ने दिया कंधा

पार्थिव शरीर कुछ घंटों के लिए कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में रखा गया. बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा. सभी ने अपने जन नेता को श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम स्वर्गीय मोतीलाल वोरा की पार्थिव देह को कंधा देकर रथ तक ले गए और दुर्ग के लिए रवाना किया.

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दुर्ग में श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब

दुर्ग में भी उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. उनके चाहने वालों ने उनके पैतृक आवास पर जाकर उन्हें अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

राजनीति में कम ही नेता ऐसे होते हैं जिन्हें लोग सहृदय नमन करें. उनमें से एक कुशल राजनीतिज्ञ और पत्रकार मोतीलाल बोरा थे. महान व्यक्तित्व, सौम्य शैली, राष्ट्रभक्ति, दूरदृष्टि, चुनौतियों से सामना करने की दृढ़ इच्छाशक्ति उन्हें औरों से जुदा करती थी.

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पत्रकार, पार्षद से पार्लियामेंट तक का सफर

अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और मां का नाम अंबा बाई था. उनका विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था. मोतीलाल वोरा ने पत्रकार, पार्षद से लेकर लंबा राजनीतिक सफर उन्होंने तय किया. उनका पूरा जीवन पाठशाला था. वोरा से कई पीढ़ियों को सीखना चाहिए. उनका व्यक्तित्व बहुत मिलनसार था. वे राजनीति के विश्वविद्यालय थे.

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एक नजर उनके सियासी जीवन पर

  • मोतीलाल वोरा ने कई वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किया. वोरा ने कई समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया.
  • मोतीलाल वोरा ने 1968 में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा.
  • इसके बाद उन्होंने 1970 में मध्यप्रदेश विधानसभा से चुनाव जीता. मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए.
  • वे 1977 और 1980 में दोबारा विधानसभा में चुने गए.उन्हें 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंपा गया.
  • मोतीलाल वोरा 1983 में कैबिनेट मंत्री बने. इसके बाद में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त हुए.
  • 13 फरवरी 1985 में मोतीलाल वोरा को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. 13 फरवरी 1988 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दिया.
  • 14 फरवरी 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला.
  • वे दो बार (1985 से 1988 और जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
  • मोतीलाल वोरा 26 मई 1993 से 3 मई 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर आसीन रहे.
  • अप्रैल 2020 तक वे छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के सदस्य रहे.
  • वोरा ने दो दशकों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और संगठन में कई अन्य जिम्मेदारियां निभाईं.
  • मोतीलाल वोरा का शरीर भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके विचार, सिद्धांत और नैतिक मूल्य हमेशा लोगों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.

'देश और प्रदेश को अपूरणीय क्षति'

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस अपूरणीय क्षति को भर पाना मुश्किल है. उनकी लगन, परिश्रम और निष्ठा अद्वितीय थी. वे हमेशा नेतृत्व के लिए समर्पित थे. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सबका प्रिय नेता चला गया. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि 45 साल के संबंधों में परिवार जैसा स्नेह वोरा जी से मिला. उनसे बहुत सीखा. वोरा जी का पूरा जीवन पाठशाला था. जेसीसी (जे) विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि, 'वे राजनीति के अजातशत्रु थे. उनका व्यक्तित्व बहुत मिलनसार था.

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