भोपाल। कोरोना काल में आर्थिक संकट झेल रहे लोगों की जिदंगी पहले जैसे पटरी पर कब लौटेगी कहना मुश्किल है. देश में जिस तरह कोरोना रफ्तार पकड़ रहा है और लगातार मरीज सामने आ रहे हैं, उससे आशंका जताई जा रही है कि इस महामारी से अभी राहत नहीं मिलेगी. कोरोना काल में किए गए लॉकडाउन ने सबकी कमर तोड़ दी और कुछ लोगों के सामने तो आर्थिक संकट खड़ा हो गया, जबकि कईयों की नौकरी भी चली गई.
देखा जाए तो एक तरफ मध्यप्रदेश में पिछले तीन साल में सरकारी नौकरियों में कमी आई है तो वहीं कोरोना संक्रमण से प्राइवेट नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो गया है. इससे प्रदेश में बेरोजगारी की दर बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले पांच साल में मध्यप्रदेश में दो लाख 11 हजार पदों के लिए भर्तियां हुईं, जिसमें 54 लाख 63 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया है.
कोरोना छीन रहा जमा-जमाया रोजगार
कोरोना संक्रमण की वजह से मध्यप्रदेश में लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो रहा है. छोटे-छोटे काम धंधे में लगे लोगों का काम अभी पटरी पर नहीं लौट पाया है. मार्केट में खाने-पीने का स्टॉल चलाने वाले हों या फिर ऑटो चलाकर परिवार का पेट पालने वाले, सभी का कामकाज लगभग ठप है. वहीं लघु, कुटीर व घरेलू उद्योग में भी अभी तक मुश्किल से 30 फीसदी काम ही शुरू हो पाया है, इसका असर इन इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों पर भी पड़ रहा है.
प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारों की संख्या
पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे मध्य प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकारी नौकरियों का पहले से ही टोटा है. प्रदेश में पिछले दो साल में सरकारी स्तर पर भर्तियों में कमी आई है, जबकि बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है. प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के मुताबिक पिछले चार साल में दो लाख 11 हजार 360 पदों पर भर्तियां निकाली गईं, जिसमें 54 लाख 63 हजार 255 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया है.