भोपाल।शिवराज सरकार ने आज ही के दिन तीन साल पहले यानि दो जुलाई 2017 को प्रदेश भर में पौधरोपण महा अभियान चलाया था. इस अभियान के तहत मात्र 12 घंटे में छह करोड़ पौधे लगाए गए थे, लेकिन आज यह पौधे लगभग पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. नर्मदा संरक्षण के लिए उठाया गया यह कदम अब धूमिल हो चला है. पर्यावरण प्रेमी भी इसको लेकर खासा नाराज हैं. वहीं बक्सावाह के जंगलों की कटाई का विरोध पूरे प्रदेश भर में चल रहा है, जिसे लेकर गुरुवार को एनजीटी ने आदेश जारी करते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है.
गिनीज बुक में दर्ज हुआ था रिकॉर्ड
तापी नदी के बाद अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जो अरब सागर में जाकर गिरती है. इसके संरक्षण के लिए ही शिवराज सरकार ने नर्मदा नदी के किनारों पर 12 घंटों में छह करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था. लक्ष्य तय समय के मुताबिक पूरा हुआ और गिनीज बुक में एक रिकॉर्ड बनकर दर्ज हुआ. पौधरोपण के महा अभियान में लगभग 499 करोड़ रुपये का खर्चा आया था. इस दौरान सत्ता धारियों से लेकर पूरे प्रशासनिक अमले ने लाखों रुपए खर्च कर अपनी पीठ थपथपाई. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक सरकार के प्रकृति प्रेम की खूब वाहवाही हुई. करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद आज इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है.
मंच तक ही रहीं घोषणाएं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अनूपपुर जिले के अमरकंटक से इस महा अभियान की रूद्राक्ष का पौधा रोपकर की. इस दौरान चौहान ने लोगों को नर्मदा नदी, जल और पेड़ों के संरक्षण का संदेश देते हुए अनेकों घोषणाएं कीं. उन्होंने कहा कि पूरा राज्य नर्मदा नदी को हरियाली चुनरी ओढ़ाने की प्रतिबद्धता पूरी कर रहा है. यह बातें सिर्फ सीएम की घोषणाओं तक ही सिमट कर रह गईं.
अनदेखी से बर्बाद हुए पौधे
पौधारोपण की गई भूमि के ज्यादातर हिस्से में स्थानीय भू-माफियाओं ने कब्जा कर कृषि कार्य कर लिया है. पूरा प्रशासनिक अमला आंख मूंदे बैठा है. इस पूरे पौधरोपण में उस समय करोड़ों रुपये खर्च हुए थे. पौधे लगाने के बाद उनकी देखरेख न होने से वह बर्बाद हो चुके हैं. स्थानीय प्रशासन इस पर कोई गौर नहीं कर रहा है. कहने को तो 2017 के बाद आने वाले पांच वर्षों में देखरेख के लिए भी बजट बना था, लेकिन वह बजट पेड़ों के संरक्षण पर दूर-दूर तक नहीं दिखा. ऐसे में इसे शासन की लापरवाही कहें या जिला प्रशासन की अनदेखी.