भोपाल। कोरोना संकट काल में समाज के अलग-अलग चेहरे सामने आए हैं और उनका सामना एक ऐसे बड़े वर्ग ने किया है, जो किरायदार कहलाते हैं. लॉकडाउन के दौरान खासतौर से वो परिवार ज्यादा परेशान हुआ, जिनके परिवार के सदस्य या तो कोरोना पॉजिटिव आए या फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद होम क्वारंटाइन हुए. एमपी में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद सब कुछ ठप होने से कुछ किराएदारों ने अपने गांव की तरफ रुख कर लिया तो कुछ मजबूरी बस भोपाल में ही रुके रहे.
ईटीवी भारत ने एक ऐसे शख्स से बात की जिनका फैमिली मेंबर कोरोना से संक्रमित पाया गया था. लिहाजा उनके सामने रहने का संकट खड़ा हो गया, क्योंकि मकान मालिक ने बिना कुछ सोचे समझे घर खाली का करने का बोल दिया. हालांकि अब फैमिली मेंबर ने कोरोना से जंग जीत ली है. संतोष साहू का कहना है कि लोगों को इस मुश्किल घड़ी में तो साथ देना चाहिए, जो उन्हें नहीं मिला. सन्तोष साहू का कहना कि इस महामारी के समय लोगों को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए, ना कि घबराकर लोगों से दूरी बनानी चाहिए.
मकानमालिक ने खाली कराया घर
मकान मालिक द्वारा घर खाली कराए जाने से संतोष साहू का मानसिक तनाव बढ़ा और जिस वक्त उनका फैमली मेंबर अस्पातल में भर्ती था, उस वक्त उन्हें घर बदलना पड़ा. संतोष साहू के साथ जो हुआ उससे साफ है कि कोरोना संक्रमण का डर रिश्तों और मानवता पर इस कदर हावी हो रहा है कि लोग अपना फर्ज निभाने से भी कतरा रहे हैं. इस महामारी के कारण कई तस्वीरें ऐसी भी सामने आई हैं, जहां लोगों ने मानवता की मिसाल पेश की.
भोपाल में रहने वाले राजेन्द्र सिंघई ने अपने किराएदार का पूरा सपोर्ट किया और लोगों को महामारी के इस दौर में दूसरों की मदद करने का संदेश भी दिया. राजेंद्र सिंघई एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, जिनके घर में भी किराए पर एक परिवार रहता था और अक्सर नौकरी के कारण उनके बेटे को घर से बाहर जाना पड़ता था. ऐसे में कई कोरोना मरीजों के संपर्क में आने के बावजूद भी उन्होंने उस परिवार का सपोर्ट किया.