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इंसानियत और मानवता पर हावी हुआ कोरोना का 'डर', कोरोना संकटकाल में बेघर हुए किराएदार

कोरोना संक्रमण का डर रिश्तों और मानवता पर इस कदर हावी हो रहा है कि लोग अपना फर्ज निभाने से भी कतरा रहे हैं. कोरोना के डर ने इंसानियत और मानवता की भावना को कम कर दिया है. भोपाल में लॉकडाउन में समाज की दो तस्वीरें सामने आई हैं, एक तरफ जहां कोरोना संकटकाल में किराएदारों को परेशान किया गया तो वहीं दूसरी तरफ कुछ मकान मालिकों ने परिवार की तरह ही किराएदारों की मदद की. पढ़िए पूरी खबर...

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कोरोना संकटकाल में बेघर हुए किराएदार

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Published : Aug 9, 2020, 3:33 PM IST

भोपाल। कोरोना संकट काल में समाज के अलग-अलग चेहरे सामने आए हैं और उनका सामना एक ऐसे बड़े वर्ग ने किया है, जो किरायदार कहलाते हैं. लॉकडाउन के दौरान खासतौर से वो परिवार ज्यादा परेशान हुआ, जिनके परिवार के सदस्य या तो कोरोना पॉजिटिव आए या फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद होम क्वारंटाइन हुए. एमपी में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद सब कुछ ठप होने से कुछ किराएदारों ने अपने गांव की तरफ रुख कर लिया तो कुछ मजबूरी बस भोपाल में ही रुके रहे.

कोरोना संकटकाल में बेघर हुए किराएदार

ईटीवी भारत ने एक ऐसे शख्स से बात की जिनका फैमिली मेंबर कोरोना से संक्रमित पाया गया था. लिहाजा उनके सामने रहने का संकट खड़ा हो गया, क्योंकि मकान मालिक ने बिना कुछ सोचे समझे घर खाली का करने का बोल दिया. हालांकि अब फैमिली मेंबर ने कोरोना से जंग जीत ली है. संतोष साहू का कहना है कि लोगों को इस मुश्किल घड़ी में तो साथ देना चाहिए, जो उन्हें नहीं मिला. सन्तोष साहू का कहना कि इस महामारी के समय लोगों को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए, ना कि घबराकर लोगों से दूरी बनानी चाहिए.

मकानमालिक ने खाली कराया घर

मकान मालिक द्वारा घर खाली कराए जाने से संतोष साहू का मानसिक तनाव बढ़ा और जिस वक्त उनका फैमली मेंबर अस्पातल में भर्ती था, उस वक्त उन्हें घर बदलना पड़ा. संतोष साहू के साथ जो हुआ उससे साफ है कि कोरोना संक्रमण का डर रिश्तों और मानवता पर इस कदर हावी हो रहा है कि लोग अपना फर्ज निभाने से भी कतरा रहे हैं. इस महामारी के कारण कई तस्वीरें ऐसी भी सामने आई हैं, जहां लोगों ने मानवता की मिसाल पेश की.

भोपाल में रहने वाले राजेन्द्र सिंघई ने अपने किराएदार का पूरा सपोर्ट किया और लोगों को महामारी के इस दौर में दूसरों की मदद करने का संदेश भी दिया. राजेंद्र सिंघई एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, जिनके घर में भी किराए पर एक परिवार रहता था और अक्सर नौकरी के कारण उनके बेटे को घर से बाहर जाना पड़ता था. ऐसे में कई कोरोना मरीजों के संपर्क में आने के बावजूद भी उन्होंने उस परिवार का सपोर्ट किया.

'कोरोना मरीजों को मोरल सपोर्ट बेहद जरूरी'

राजेंद्र सिंघई का कहना है कि उस समय में उनके अास पास रहने वाले लोग भी उन पर दबाव बनाते थे कि, आप घर खाली करवा लो, क्योंकि आपके घर में रहने वाले व्यकि कोरोना पाजिटिव के सम्पर्क में रहे हैं और कालोनी वालों को भी संक्रमण का खतरा है, लेकिन राजेंद्र सिंघई ने उस परिवार को मानसिक दबाव से बचाया और मोरल स्पोर्ट किया.

राजेन्द्र सिंघई ने की मदद

कोरोना संकट काल में अपने किराएदार की हर तरह से मदद करने वाले राजेन्द्र सिंघई का मानना है कि इस वक्त कोरोना मरीजों को मोरल सपोर्ट की बेहद जरूरत है, क्योंकि कोरोना के खिलाफ जंग जीतने में लोगों को अपनेपन की बेहद जरूरत है.

लॉकडाउन में समाज के दो चेहरे आए सामने

भोपाल शहर में करीब 2 लाख से ज्यादा लोग या परिवार किराए पर रहते हैं, ज्यादातर लोग लॉकडाउन के बाद गांव लौट गए, जबकि नौकरी पेशा लोगों को सोसाइटी, कॉलोनी या फिर मकान मालिक के दबाव के चलते घर खाली करने पड़े, जिससे उन्हें भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, हालांकि समाज में राजेन्द्र सिंघई जैसे लोग भी मौजूद हैं, जिन्होंने कोरोना काल में भी परायों को भी अपना समझा और उन्हें फुल सपोर्ट किया.

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