भोपाल।साल 1925 में जब पूरी दुनिया प्रभु यीशु के जन्मदिन का जश्न मना रही थी, उसी दिन मध्यप्रदेश की धरा पर एक ऐसी शख्सियत ने जन्म लिया था. जिसे आज भी संस्कारित राजनीति का प्रतीक माना जाता है. बात कर रहे हैं 'भारत रत्न' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है. अटलजी की मौत के बाद ये उनकी पहली जयंती है, लेकिन मरकर भी अटलजी इस दुनिया सदियों तक अटल ही रहेंगे.
प्रदेश ही नहीं देश के जर्रे-जर्रे में आज भी अटल बिहारी वाजपेयी की यादें मौजूद हैं. ग्वालियर वो शहर है, जहां अटलजी का जन्म हुआ और यहीं उनका बचपन बीता. बेहद साधारण परिवार में जन्मे अटलजी ग्वालियर तक ही सीमित नहीं रहे. उगते हुए सूर्य की तरह अटलजी जब आगे बढ़े तो पूरी दुनिया में छा गए.
अटलजी केवल भारत के प्रधानमंत्री मात्र ही नहीं थे. बल्कि एक ऐसे रत्न थे, जिन्होंने राजनीतिक पटल पर अपनी अमिट कहानी लिखी. वे जब बोलते थे तो पूरा देश उन्हें सुनता था. राजनीतिक विरोधी भी उनकी वाक शैली के कायल थे, यही वजह है कि उन्हें कभी किसी ने दल विशेष का नेता माना ही नहीं क्योंकि अटलजी सबके दिलों में बसने वाले नेता थे, जो चार दशक से भी ज्यादा वक्त तक राजनीतिक पटल पर तारे की तरह चमकते रहे.