भोपाल। 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों'. इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है राजधानी भोपाल की महिला कुली ने. तस्वीरों में दिख रही ये महिला आज मजबूरियों और परेशानियों से लड़कर मुफलिसी के हालातों को भी मात दे रही है. बेटे को अच्छी तालीम नसीब हो सके, इसलिए उसने लोगों का बोझ अपने सिर पर उठा लिया.
भोपाल की महिला कुली लक्ष्मी का हौसला हम बात कर रहे हैं राजधानी भोपाल की पहली महिला कुली लक्ष्मी की. शराब की लत ने पति छीन लिया और वो बेसहारा हो गई. पति की मौत के बाद खुद के सपने भले ही चकनाचूर हो गए हों, लेकिन उसने बेटे के सपनों को संजोने और उसका भविष्य बनाने का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया.
13 नंबर का बिल्ला अब लक्ष्मी की पहचान बन चुका है. लक्ष्मी बताती है कि जिंदा रहते पति ने जितना पैसा कमाया उसे शराब में उड़ा दिया, इसलिए अब पेट पालने और बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के लिए मजबूरन उसे कुली बनना पड़ा. उसके पास खुद की न तो छत है और न ही कोई दूसरा ठिकाना, लिहाजा माता-पिता के साथ रहकर वह जिंदगी बसर कर रही है. अब उसने सरकार से मदद मांगी है.महिला कुली होने से लोग उससे सामान उठवाने से परहेज करते हैं, हालांकि स्टेशन पर मौजूद दूसरे कुली साथियों की मदद से लक्ष्मी दिन के करीब 100 से 200 रुपए कमा लेती है और कभी जब पैसा कम आता है, साथी मदद कर देते हैं.
लक्ष्मी पर दुखों का पहाड़ टूटा था, बावजूद पहाड़ सा हौसला बनाए रखने की चुनौती को स्वीकारते हुए लक्ष्मी ने ऐसा पेशा अपनाया, जहां आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व रहता है, तभी तो हर मुसाफिर लक्ष्मी की हिम्मत को सैल्यूट कर रहा है.