भोपाल| राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा उच्च न्यायालय से स्टे मिलने के बाद लॉक डाउन के बीच आयोग कार्यालय पहुंची और कार्यकारिणी की बैठक ली. इस दौरान लंबित कार्यों की समीक्षा की गई है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सरकार ने कमलनाथ सरकार के द्वारा की गई नियुक्तियों को निरस्त कर दिया गया था.
इसे लेकर महिला आयोग की कार्यकारिणी सदस्य के साथ ही महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा के द्वारा उच्च न्यायालय में अपील की गई थी. उसके बाद उन्हें इस मामले में फिलहाल स्टे मिल गया है. इसके अलावा जिन सदस्यों की कार्यकारिणी के रूप में नियुक्ति की गई थी उन्हें भी न्यायालय ने स्टे दे दिया है.
शोभा ओझा ने ली राज्य महिला आयोग की बैठक महिला आयोग की प्रथम समीक्षा बैठक लेते हुए शोभा ओझा ने कहा कि 'मध्यप्रदेश में महिलाओं के हित, उनकी सुरक्षा, उनका सम्मान और उन्हें एक भयमुक्त वातावरण देना ही महिला आयोग का कर्तव्य है, यह दुखद है कि महिलाओं से संबंधित लगभग दस हजार मामले आयोग के पास पहले से लंबित हैं, जिन्हें निपटाना और पीड़िताओं को न्याय दिलाना हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य जरूर है, पर हम इस कठिन लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.'
शोभा ओझा ने कहा कि अब तक जितने भी मामले लंबित हैं उसके अलावा लॉक डाउन के दौरान भी 181 से ज्यादा मामलों की शिकायत की गई है. इन सभी मामलों की जल्द समीक्षा की जाएगी, ताकि सभी को न्याय मिल सके. उक्त बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों, अधिकारियों व स्टाफ ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का बखूबी पालन करते हुए आयोग के कार्यों और परिणामों में गति लाने की आवश्यकता पर बल देते दिया गया.
आयोग की कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन की पैरवी करने के साथ ही शोभा ओझा को पूरे सहयोग का आश्वासन भी दिया गया. आयोग के द्वारा निर्णय लिया गया है कि इस तरह की समीक्षा बैठक अब लगातार आयोजित की जाती रहेंगी, ताकि आयोग में मामले लंबित ना हो और उन्हें जल्द से जल्द हल किया जा सके.