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नरेंद्र मोदी आज लेंगे पीएम पद की शपथ, 17वीं लोकसभा में नहीं दिखेंगे ये प्रमुख चेहरे

पीएम मोदी आज राष्ट्रपति भवन परिसर में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. 2014 की तरह ही इस बार भी पीएम मोदी और उनके मंत्रीमंडल का शपथग्रहण का मेगा इवेंट होगा. कार्यक्रम में कई लोग शामिल होंगे लेकिन कई ऐसे चेहरे भी हैं जो कि कार्यक्रम में नहीं दिखाई देंगे.

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Published : May 30, 2019, 8:18 AM IST

Updated : May 30, 2019, 9:42 AM IST

पीएम मोदी के शपथग्रहण में ये चेहरे नहीं होंगे शामिल

दिल्ली/भोपाल। नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रपति भवन परिसर में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. 2014 की तरह ही इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रीमंडल का शपथग्रहण मेगा इवेंट होने वाला है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 6000 मेहमानों को न्यौता भेजा गया है. बाहरी मेहमानों में बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान के प्रमुख शामिल होंगे. इसके अलावा सांसदों और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्यौता दिया गया है.

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पिछले तीन दशकों से भारतीय चुनावी इतिहास में अपनी पार्टी, राज्य और संसदीय क्षेत्र की आवाज बनने वाले कुछ प्रमुख चेहरे इस बार संसद में नजर नहीं आएंगे. इनमें प्रमुख हैं भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, सुषमा स्वराज, हुकुमदेव नारायण यादव, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा, कांग्रेस के सदन में नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे और उपनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया.

भाजपा के दिग्गजों को जहां इस बार टिकट नहीं दिया गया था, वहीं मोदी के मुखर आलोचक देवगौड़ा, खड़गे और सिंधिया चुनाव हार गए. 91 वर्षीय आडवाणी 1991 से गांधीनगर सीट से चुनाव जीतते आ रहे थे. उन्होंने यहां से लगातार पांच बार जीत दर्ज की. अगर आडवाणी इस बार चुनाव लड़ते तो वह सबसे बुजुर्ग सांसद हो सकते थे. जद(यू) के रामसुंदर दास ने हाजीपुर से 2009 में 88 साल की उम्र में चुनाव जीता था और वह 93 की उम्र तक सांसद रहे.

आडवाणी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में रथयात्रा निकालने के लिए याद किया जाता है. उन्होंने उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री पद भी संभाला था. आडवाणी के अलावा जोशी, महाजन, शांता कुमार, कलराज मिश्र, भगत सिंह कोश्यारी इस बार चुनाव नहीं लड़े.

जोशी 2014 में कानपुर से चुनाव जीते थे. वह 1991 से 1993 के बीच भाजपा के अध्यक्ष रहे. उन्होंने लोकसभा में इलाहाबाद और वाराणसी का भी प्रतिनिधित्व किया. 2014 में उन्हें कानपुर से टिकट दिया गया, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ सकें. उन्होंने केंद्र में कई मंत्रालयों का कामकाज संभाला था. सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष थीं और इस बार वह चुनाव नहीं लड़ीं.

वर्ष 2014 में वह लोकसभा के लिए आठवीं बार चुनी गईं. वह मध्यप्रदेश की इंदौर सीट से 1989 से जीतती रही हैं. केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने मानव संसाधन, संचार और पेट्रोलियम मंत्रालय का कामकाज संभाला था.

हुकुमदेव नारायण यादव पांच बार सांसद बने. सोशलिस्ट नेता के साथ ही उन्हें अच्छे वक्ता के रूप में जाना जाता है. वह लोकसभा में पहली बार 1977 में पहुंचे थे. वह बिहार के मधुबनी का प्रतिनिधित्व करते थे. इस बार वह चुनाव नहीं लड़े.

देवेगौड़ा पिछले तीन दशक से कर्नाटक की मुखर आवाज के रूप में संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे। लेकिन इस बार वह तुमकुर से चुनाव हार गए. वह 1991 में हासन सीट से संसद पहुंचे थे. 16वीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सदन के नेता खड़गे ने मनमोहन सिंह सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह गुलबर्ग सीट भाजपा उम्मीदवार उमेश जी. जाधव से 95 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए.

कांग्रेस के युवा चेहरा सिंधिया पहली बार चुनाव हारे हैं. उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. वह मध्य प्रदेश की गुना सीट पर भाजपा के कृष्णपाल यादव से चुनाव हार गए.

कांग्रेस नेता तारिक अनवर अपनी परंपरागत सीट बिहार की कटिहार से, शिवसेना नेता अनंत गीते और माकपा नेता मोहम्मद सलीम भी चुनाव हार गए. इस तरह इस बार लोकसभा की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी. 542 सांसदों में से 300 पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं.

Last Updated : May 30, 2019, 9:42 AM IST

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