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भोपाल गैस त्रासदी: गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहीं रचना ढींगरा, ETV BHARAT से की खास बातचीत - भोपाल गैस त्रासदी

साल 1984 में भोपाल में मानव इतिहास की एक सबसे बड़ी औद्योगिक रिसाव की घटना हुई थी. जहां जहरीली गैस का रिसाव हुआ और हजारों लोगों की जान चली गई. 35 साल बाद भी इस त्रासदी का विनाशक असर पड़ रहा है. यही वजह है कि इस घटना का नाम सुनते ही लोग आज भी सहम उठते हैं. घटना को लेकर गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहीं रचना ढींगरा ने ETV BHARAT से खास बातचीत की है.

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रचना ढींगरा की ETV BHARAT से खास बातचीत

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Published : Dec 2, 2019, 9:47 PM IST

भोपाल। दुनिया की सबसे बड़ी ओद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड की आरोपी कंपनी डाउ केमिकल की मनमानी चरम पर है. जिला अदालत द्वारा 6 बार नोटिस भेजे जाने के बाद भी डाउ केमिकल कंपनी अदालत में पेश नहीं हुई है. इतना ही नहीं जिला अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी नोटिस भेजे हैं. यही वजह है कि भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को 35 साल बाद भी न्याय नहीं मिला और लोग आज भी गैस त्रासदी का दंश झेल रहे हैं.

गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहीं रचना ढींगरा

गैस पीड़ितों के लिए लंबे समय से काम कर रही भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्ष रचना ढींगरा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने बताया कि भोपाल जिला अदालत से 6 बार डाउ केमिकल कंपनी को हाजिर होने का नोटिस भेजा जा चुका है, जो महज औपचारिकता बन के रह गया है.

रचना ढींगरा ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने कभी गैस पीड़ितों के लिए ठोस कदम नहीं उठाए. यही वजह है कि अमेरिका में बैठी डाउ कंपनी पर दबाव तक नहीं बन पाता और कंपनी प्रबंधन नोटिस के बाद भी भोपाल जिला अदालत में हाजिर नहीं होता. रचना ढींगरा ने बताया कि तीन दशक बाद भी जो बच्चे जन्म ले रहे हैं, उनमें भी बीमारियां मिल रही हैं. 35 साल पहले जो जख्म इन गैस पीड़ितों को मिले थे, वह तीसरी पीढ़ी के बाद भी हरे के हरे ही हैं.

रचना ढींगरा की ETV BHARAT से खास बातचीत

अब तक नहीं मिला न्याय
रतना ढ़ींगरा ने बताया कि उस काली रात हजारों लोगों की जान गई थी और आज भी लाखों लोग जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट से प्रभावित हैं. इसके बावजूद ना तो उन्हें अतिरिक्त मुआवजा मिल रहा है और ना ही उचित इलाज.

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