भोपाल।शहर में दो दिन चले जल संरक्षण के मंथन के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि, आने वाले समय में पानी एक चुनौती बन कर सामने आएगा. बढ़ता हुआ आर्थिक शहरीकरण के चलते पानी की आवश्यकता बढ़ रही है. संसाधनों के सीमित होने के कारण उस समस्या का निराकरण नहीं कर पाते थे, लेकिन अब काम करने के कारण स्थिति बदली है. हम 2047 तक कैसे काम करंगे. (MP Water Vision 2047) इसकी प्लानिंग हमने कर ली है. पानी की हर बूंद रिसायकल हो सकता है. जब तक आपका नजरिया उस पानी को देखने का न बदले.
भू-गर्भ जल पर निर्भर प्रदेश:पीने के पानी में ग्राउंड स्तर पर काम किया. 16 हजार प्रयोग शाला बनाई गई हैं. वाटर विजन से जो निकला है परिवहन सिस्टम में पानी के वेस्ट होने को रोका जा सकता है. लघु सिंचाई परियोजना को लेकर हम सबको मिलकर काम करना है. समाज किसी भी चुनौती को उठा ले तो आसानी से उस समस्या का निराकरण हो सकता है, हम सबसे ज्यादा भू गर्भ जल पर निर्भर हैं. हर राज्य के प्रतिवेदन पर ग्राउंड वाटर को लेकर लिखा होता है कि अभी से हमने इन रिसोर्स को नहीं सहेजा तो आने वाले पीढ़ी को पानी को रीसायकल करके पीना पड़ेगा. उन्होने कहा कि हमको स्टोरेज बढ़ाने की आवश्यकता है. बांध जो बने हुए हैं उनको सेंडमेंटशन करना होगा. नदियों के कटाव को रोकने के लिए काम करना पड़ेगा. नदी के घर में हम घुसेगे तो नदी बाद में रुद्र रूप ले लेती है.
चिंता करने की जरुरत नहीं:भारत आने वाली चीन की नदियों की चुनौती के सवाल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बोले कि चाइना से ब्रह्मपुत्र नदी हमारे यहां आती है. ब्रह्मपुत्र नदी का जो कुल पानी हमारे यहां आता है उसका लगभग 80% क्वांटम पानी भारत और भारत के कैचमेंट एरिया से आता है. इसलिए इस विषय को लेकर न पैनिक करने की आवश्यकता है न चिंता करने की आवश्यकता है. निरंतर इस पर हमारी सरकार दृष्टि बनाए हुए है.
राहुल गांधी पर बोला हमला:केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राहुल गांधी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि, देश की सेना और सैनिकों के सम्मान मनोबल को गिराने का कोई भी अवसर राहुल गांधी ने नहीं छोड़ा है. सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त संदेह किया. एयर स्ट्राइक के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़े किए. चीन के सैनिकों को जिस तरह डोकलाम और तवांग में भारत के सैनिकों ने खदेड़ा कर भगाया उस पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए. राहुल गांधी कभी चीन की एंबेसी में जाते हैं. पार्टी के स्तर पर चीन के साथ समझौता करते हैं. देश में भय का वातावरण खड़ा करने के लिए झूठी और अनर्गल टिप्पणी करते हैं. इसका झूठा और भ्रामक प्रचार करते हैं की भारत की जमीन चीन ने हथिया ली.भारत जोड़ने यात्रा की नौटंकी करते हैं. इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं.
जल संरक्षण पर काम करने की आवश्यकता: पानी की उपयोगिता को देखते हुए जल संरक्षण और संवर्धन पर काम करने की आवश्यकता है. इसी उद्देश्य को लेकर देशभर के जल मंत्री और इससे जुड़े अधिकारी भोपाल में एकत्र हुए. पेयजल, शौचालय, कपड़े धोने, गार्डन और मांस सहित अन्य उद्योगों पर केवल 10 प्रतिशत पानी का उपयोग होता है. सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत पानी खेतों में लगता है. फसलों में पानी का उपयोग कम कैसे हो, इस पर काम करने की जरूरत है. शेखावत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि लाेगों को पानी बचाने के प्रति जागरूक करें. ग्रामीण क्षेत्रों में हमारा प्रयास है कि जहां भू स्रोत से जल आ रहा था, वह नहर से आ जाए. जहां भूजल उपयोग हो रहा है वहां नहर के पानी का उपयोग हो और जहां नहर के पानी का उपयोग रहा है. वहां ट्रीटेड वाटर का उपयोग हो. हम ट्रीटेट वाटर कृषि के लिए उपयोग करने जा रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि हम 2030 तक 80 प्रतिशत ट्रीटेड वाटर उपयोग कर सकें. "मोर क्रॉप पर ड्राप" पर हम काम कर रहे हैं और उसके परिणाम भी सकारात्मक आ रहे हैं.
...तो पानी को तरसेंगे हमारे बच्चे ! MP में जल संरक्षण के दावे ज्यादा, काम कम
जल के हानिकारक तत्व कैंसर के कारक:दो दिन चले जल पर मंथन के दौरान अलग अलग राज्यों के मंत्रियों ने अपने सुझाव और उनके कामों को बताया. पंजाब के जल संसाधन मंत्री ब्रह्मशंकर जिंपा ने कहा कि, उनके राज्य में कैंसर के सबसे ज्यादा पेंशेंट हैं. जिसकी वजह है यहां के लोगों ने दूषित जल पिया है. जल में वे हानिकारक तत्व मिले हैं जो कैंसर कारक हैं. उन्होंने सीधे तौर पर वहां पर रही सरकारों को कटघरे में खड़ा किया. साथ ही कहा कि यहां पर पानी में इतने हानिकारक कैमिकल आ रहे हैं कि बचपन में ही बाल सफेद हो रहे हैं. लोगों में कैंसर के बाद सबसे बड़ी समस्या बालों का सफेद होना है. उन्होंने केंद्र सरकार से फंड भी मांगा और कहा कि केंद्र सरकार के बगैर लोगों तक शुद्ध पानी नहीं पहुंचाया जा सकता है. साथ ही आर ओ ट्रीटमेंट प्लांट में भ्रष्टाचार को भी उठाया. उनका कहना था कि आर ओ ट्रीटमेंट प्लांट तो लगा दिए गए, लेकिन उनमें मशीनें नहीं लगाई.