MP शिक्षा विभाग में डीपीसी की नियुक्ति पर विवाद भोपाल।मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 21 जिलों में जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) की पदस्थापना की गई है. (School Education Department Madhya Pradesh) स्कूल शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश शासन ने निर्धारित चयन प्रक्रिया के उपरांत चयनित व्याख्याताओं का जिला परियोजना समन्वयक के पद पर पदस्थापना के लिए आदेश जारी कर दिया है. इसमें सीमा गुप्ता सहायक परियोजना समन्वयक को भोपाल का जिला परियोजना समन्वयक बनाया गया है. इनकी नियुक्ति के बाद से विवाद भी शरू हो गया है.
स्कूटनी समिति ने घोषित किया था अपात्र: राजधानी भोपाल में शिक्षा विभाग में जिला परियोजना समन्वयक की नियुक्ति पर सवाल खड़े होने लगे हैं. डॉक्टर सीमा गुप्ता मूल रूप से व्याख्याता हैं. इससे पूर्व सहायक परियोजना समन्वयक बालिका शिक्षा भोपाल के पद पर थी. उस समय आर्थिक अपराध ब्यूरो ने शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों को दी गई राशि में जो घोटाला लगभग 19 करोड़ के आसपास का था. इस प्रकरण में इनके खिलाफ जांच चल रही है. इसी आरोप के चलते इनके खिलाफ जांच लंबित है. जिसके कारण जिला परियोजना समन्वयक पद के लिए गठित स्कूटनी समिति द्वारा इन्हें अपात्र घोषित किया गया था.
नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति का आरोप गृह मंत्री को सौंपा ज्ञापन:10 दिसंबर 2012 से 30 नवंबर 2022 तक यह प्रतिनियुक्ति पर सहायक परियोजना समन्वयक बालिका शिक्षा रही हैं. सभी शर्तों का उल्लंघन करते हुए डॉक्टर सीमा गुप्ता को जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र भोपाल के पद पर प्रतिनियुक्ति कर दिया गया. शासकीय शिक्षा संगठन मध्य प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने जिला मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात कर इस संबंध में ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि, यहां मुख्यमंत्री एक ओर सार्वजनिक मंच से भ्रष्ट अधिकारियों को हटा रहे हैं. दूसरी ओर इस तरह के अधिकारी जिनके खिलाफ पहले से ही आर्थिक अपराध ब्यूरो की जांच चल रही है इनको मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग राजधानी भोपाल महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनियुक्ति दे रहा है. यह काफी चिंतनीय विषय है.
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जांच हो सकती है प्रभावित: उन्होंने कहा कि, शिक्षा विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में इस तरह की नियुक्ति शिक्षा विभाग और सरकार को बंधन करने की साजिश लग रही है. इसको लेकर संगठन मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री सहित सभी लोगों को ज्ञापन दे रहा है. इस तरह के अधिकारी जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी ना दी जाए. इसके अलावा इन्हीं के विभाग में हुए घोटाले में इनके खिलाफ जांच चल रही है और जिला परियोजना समन्वयक के महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए यह जांच को प्रभावित भी कर सकती है.