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MP के लिए गर्व के क्षण, टाइगर स्टेट आज मना रहा International Cheetah Day 2022 - टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश

भारत में नामीबियाई चीतों के आने के बाद आज पहली बार 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस (International Cheetah Day 2022) मनाया जा रहा है, इस मौके पर टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज ने लोगों को बधाइयां दी, साथ ही पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है.

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Published : Dec 4, 2022, 2:30 PM IST

भोपाल।आज 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस है, मालूम हो कि चीता धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला स्तनधारी जानवर है, बिल्ली की प्रजाति में आने वाला चीता अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है. आज इंटरनेशनल चीता डे है, (International Cheetah Day 2022) इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुभकांनाएं दी हैं.

सीएम ने दी शुभकामनाएं:सीएम शिवराज ने ट्वीट कर लिखा कि, "आपको इंटरनेशनल चीता दिवस की शुभकामनाएं.. यह दिन हम मध्यप्रदेश वासियों के लिए अपार गर्व और आनंद का दिन है, क्योंकि अब हमारा टाइगर स्टेट चीता स्टेट भी बन गया है, इस गौरवशाली दिन के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं."उन्होंने आगे कहा कि, "धरती के संतुलन के लिए वन्यप्राणी उतने ही आवश्यक हैं, जितने कि इंसान… अत: इंटरनेशनल चीता दिवस पर हम समस्त मध्यप्रदेशवासी संकल्प लें कि वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सहयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे."

गृहमंत्री मिश्रा ने पीएम का दिया धन्यवाद:इंटरनेशनल चीता डे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, "समस्त देशवासियों को विश्व चीता दिवस की शुभकामनाएं.. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में दशकों बाद चीतों की वापसी हुई है और मध्य प्रदेश की धरा को उनका निवास बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. विश्व चीता दिवस पर आइए संकल्प लें कि विश्व के लिए उदाहरण बने चीतों के संरक्षण और संवर्धन के इस शुभ अभियान की सफलता को और आगे ले जाने में हम भी बढ़-चढ़कर योगदान करें."

देश में चीता बसाने की कोशिश:टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में कुछ साल पहले अच्छी संख्या में चीते पाए जाते थे, लेकिन इनकी खूबसूरत खाल ही इसकी जान की दुश्मन बनी. राजशाही के दौरान शिकार के शौकीन महाराजाओं ने चीतों का इस कदर शिकार किया कि देश से इसकी नस्ल ही खत्म हो गई. अब एक बार फिर चीतों को भारत में बसाने की कोशिश पीएम मोदी के द्वारा की गई है.

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खूबसूरत खाल बनी जान की दुश्मन:करीबन 75 साल बाद मध्ययप्रदेश में एक बार फिर चीते दिखाई दिए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर मध्यप्रदेश के कूनो पार्क में पीएम खुद इन्हें बाडे में छोड़ा गया. चीते भारत में पहले भी पाए जाते थे, लेकिन इनकी खूबसूरत खाल के लिए और राजा-महाराजाओं ने अपने शौक के लिए इनका अंधा-धुंध शिकार किया. अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ का रामगढ़, जो अब घासीदास नेशनल पार्क है, में दिसंबर 1947 में तीन चीतों का शिकार किया गया था. यह शिकार कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने किया था. कहा जाता है शौक के शिकार बने 2 चीतों की साल 1967-68 में सीधी के जंगलों में मौजूदगी की खबरें मिलीं थीं. इसके बाद फिर न कभी इन्हें देखा गया और न ही इसके देखे जाने की चर्चा हुई.

कब-कब हुआ चीतों का शिकार:वन्यजीव विशेषज्ञ कहते हैं कि चीतों की खूबसूरत खाल और राजा-महाराजाओं के शिकार के शौक की वजह से भारत से चीतों की नस्ल ही समाप्त हो गई. लगातार शिकार के चलते भारत में कुछ साल पहले अच्छी खासी संख्या में पाए जाने वाले चीते खत्म होते चले गए.
1903 - नौगांव में 1 चीते का शिकार किया गया.
1919- छिंदवाड़ा दो चीते दिखे, मादा चीता का हुआ शिकार.
1925- रीवा में तीन चीतों का शिकार हुआ, 1 को बचाया गया.
1926- हरारी जागीर छिंदवाड़ा में एक चीते का शिकार हुआ.

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एमपी में कब तक दिखी चीतों की मौजूदगी:
1867- सागर में 2 चीतों को एक शावक के साथ देखा गया
1887 - सागर में 2 चीते दिखाई दिए.
1914 - रानीपुर बैतूल में चीते की आवाज सुनाई दी
1919- छिंदवाड़ा दो चीते दिखे
1935- सिवनी में एक चीते की मौजूदगी के निशान मिले
1941- रीवा स्टेट की सीमा में दो चीते दिखे, दोनों का हुआ शिकार
1967-68 सीधी में आखिरी बार दो चीतों की मौजूदगी का पता चला

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