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देखो आत्मनिर्भर हो रहा है भारत! सरकार 580 से 70 लाख रुपये पर घसीट लाई माटी कला बोर्ड का बजट, इस बार खत्म न कर दे

शिवराज सरकार माटी कला बोर्ड का बजट लगातार कम करती जा रही है. 2018-19 में जो बजट 580 लाख रुपये का था. वह सिमटकर अब 70.79 लाख रुपये पर पहुंच गया है. जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में माटी कला के लिए बजट कम हुआ है, उससे लग रहा है कि 2022 के बजट में यह कहीं विलुप्त न हो जाए.

what is mati kala board
माटी कला बोर्ड पर एमपी सरकार

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Published : Feb 12, 2022, 3:23 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है. यह नारा शिवराज सरकार से हम सुनते चले आ रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है. शिल्पकारों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने माटी कला बोर्ड बनाया. अब यह बोर्ड सिर्फ सफेद हाथी बनकर रह गया है. (soil art board mp)

सिर्फ कागजों में ही आई माटी कला योजना
भोपाल का प्रजापति परिवार किशोरी लाल माटी कला से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. घर चलाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं. सरकार माटी कला लेकर आ गई, लेकिन 30 साल से काम करने वाले किशोरी लाल को योजना के बारे में पता ही नहीं है. इससे साफ जाहिर होता है कि योजना सिर्फ और सिर्फ कागजों में आई. (mp mati kala board budget)

माटी कला बोर्ड पर एमपी सरकार

पढ़ें किशोरी लाल की दुख भरी कहानी
बकौल किशोरी लाल "हम तो 30 साल से यही काम कर रहे हैं. सरकार क्या योजना लाई है हमें नहीं पता. योजना आई होगी तो कागजों और फाइलों में ही आई होगी. माटी कला के बारे में न हमें कुछ पता है और न ही इससे हमें कुछ मिला है. हम गरीब हैं, कोरोना काल को हमने कैसे काटा है. हम ही जानते हैं. पहले ही आमदनी कम थी. फिर कोरोना ने हमारी रोजी रोटी छीन ली. मंदी का दौर है. अब अगर मिट्टी के बर्तन बना भी लें तो मेहनताना नहीं मिल पाता. लिहाजा, मिट्टी का सामान जहां मशीन से बनता है. वहां से खरीद कर लाते हैं. वहीं से थोड़ा बहुत मुनाफा कमा लेते हैं."

माटी में मिलता जा रहा माटी कला बोर्ड
पूरे प्रदेश में किशोरी लाल जैसे और भी बहुत से लोग हैं, जिन्हें माटी कला योजना के बारे में पता ही नहीं है. इससे पता चलता है कि प्रदेश सरकार ने माटी कला बोर्ड माटी में मिलाने के लिए ही बनाया था. जब से बोर्ड बना था तब से लेकर अब तक शिवराज सरकार लगातार माटी कला बोर्ड का बजट कम कर रही है. ऐसे में बोर्ड को सफेद हाथी कहना गलत नहीं होगा.

क्या है माटी कला बोर्ड
माटी कला बोर्ड का गठन सरकार ने मिट्टी से घड़े, खिलौने और अन्य सामग्रियां बनाने वाले कारीगरों और व्यवसायियों को संरक्षण व प्रोत्साहन देने के लिए 2008 में किया था. इसका उद्देश्य कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए था. एमपी में लगभग 3 लाख लोग मिट्टी का काम करते हैं. इसी काम से उनके घर की भरण-पोषण होता है. (what is mati kala board)

विभाग को नहीं है जानकारी
माटी कला बोर्ड बनाने के बाद सरकार इसे भूल ही गई. लगभग तीन लाख कुम्हार माटी कला से अपने घर चलाते हैं. ऐसे में माटी कला बोर्ड से कितने लोग जुड़े हैं, विभाग को इसके कोई सही आंकड़े ही नहीं हैं. कमलनाथ सरकार के वक्त इस बोर्ड को बंद करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया. (mp government on mati kala board)

बजट कम कर रही सरकार
जिस बोर्ड का गठन कर सरकार कुम्हारों की मदद करने की बात कर रही थी. वह अब पीछे हटती हुई दिख रही है. प्रदेश सरकार लगातार माटी कला बोर्ड का बजट कम करती जा रही है. 2018-19 में सरकार ने माटी कला बोर्ड के लिए 579.09 लाख रुपये का बजट रखा था. 2019-20 में यह बजट अब घटकर 278.88 लाख रुपये हो गया. वहीं 2020-21 में माटी कला बजट और कम हो गया. 278.88 से घटकर यह 70.79 लाख रुपये पर पहुंच गया. अब देखना होगा कि आगामी बजट में सरकार माटी कला बोर्ड के लिए कितना बजट रखती है. सीएम स्वरोजगार ,आर्थिक कल्याण, उद्यमी प्रशिक्षण, प्रचार प्रसार और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण योजनाओं में से चार बंद होने को हैं.

2020-21 में इन योजनाओं को नहीं मिला बजट

  • अनुसूचित जनजाति के लिए सीएम स्वरोजगार योजना को नहीं मिला बजट.
  • आर्थिक कल्याण योजना के लिए भी नहीं रखा गया था कोई बजट.
  • एमएसएमई मदद से इस साल कोई वित्तीय मदद नहीं दी गई.
  • अनुसूचित जाति वर्ग के उपयोग के लिए सिर्फ 1.21 लाख रुपये दिए गए.

क्या कहते हैं खादी ग्राम उद्योग मंत्री
खादी ग्राम उद्योग मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि लगातार कौशल उन्नयन के कार्यक्रम चल रहे हैं. कोई भी योजना बंद नहीं हुई है. अभी 125 शिल्पियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इनके उत्पादों को बाजार भी दिलाया जाएगा. केंद्र सरकार से अभी बजट मांगा गया है. जल्द ही बजट मिल जाएगा. (gopal bhargav on mati kala board)

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पीसी शर्मा ने लगाया आरोप
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का आरोप है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सिर्फ दिखावा करते हैं. कुछ महीनों पहले उन्होंने छतरपुर में शिल्पकारों के साथ मटके बनाए थे. उन्हें आज तक सरकारी योजना का फायदा नहीं मिला. बीजेपी सरकार सिर्फ घोषणा करती है.

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