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ये चुनाव दिग्विजय सिंह के लिए लिटमस टेस्ट है!, MP की इन 66 सीटों के नतीजों से तय होगी उनकी सियासत - This election is litmus test for Digvijay Singh

This election is litmus test for Digvijay Singh: एमपी विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह को अहम जिम्मेदारियां दी गई थीं. पिछले चुनाव में कम मार्जिन से जीती कांग्रेस की 66 सीटों का जनादेश बदलने की चुनौती को उन्होंने स्वीकारा. तो सवाल ये कि क्या ये चुनाव दिग्विजय सिंह के लिए लिटमस टेस्ट है.पढ़िए ये खास खबर.

MP Elections 2023
66 सीटों के नतीजे तय करेंगे दिग्विजय की सियासत

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 2:51 PM IST

भोपाल। दिग्विजय सिंह चुनाव मैदान में बतौर उम्मीदवार भले नहीं थे लेकिन ये चुनाव दिग्विजय सिंह की सियासत,संगठन क्षमता और कांग्रेस में जमीनी कार्यकर्ता पर उनकी मजबूत पकड़ का लिटमस टेस्ट भी है. होम फ्रंट पर दिग्विजय सिंह की पारी कितनी मजबूत या कमजोर है नतीजों के साथ ये तस्वीर भी साफ होगी. कितने दिग्विजय समर्थक चुनाव जीतते हैं जिनकी मुहर पर उन्हें टिकट मिली थी. उनकी जीत हार से केवल इन उम्मीदवारों की जीत हार नहीं दिग्विजय की सियासत भी तय होगी.नतीजों पर टिका है सवाल क्या ये उनक लिए लिटमस टेस्ट है.

चुनाव प्रचार में दिग्विजय का ये अंदाज देखिए

दिग्विजय की साख दांव पर: पिछले चुनाव में कांग्रेस की कम मार्जिन से हारी हुई 66 सीटों का जनादेश बदलने की जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को दी गई थी. उन्होंने चुनाव से काफी पहले से इन सीटों के लिए मेहनत शुरू कर दी थी. यहां कार्यकर्ताओं की बैठकों के साथ असंतुष्टों के बागी नहीं बनने और मैदान में नहीं उतरने को लेकर शपथ तक दिलाई. दिग्विजय सिंह के इन सीटों पर अपनाए गए सारे फार्मूले कितने कारगर रहे ये नतीजा भी 230 सीटों के चुनाव नतीजों के साथ आएगा. ये पता चल पाएगा कि मजबूत संगठन क्षमता रखने वाले दिग्विजय सिंह आज भी पार्टी में क्या ऐसे सर्वमान्य नेता हैं कि जिनके कहने पर कार्यकर्ता जुटे और पार्टी का सीन बदल पाए.

चुनाव प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह

किसके खाते में जाएगा क्रेडिट: इन 66 सीटों में से अगर 50 पर भी कांग्रेस बढ़त बना ले जाती है तो तय है कि इसका पूरा क्रेडिट दिग्विजय सिंह के खाते में ही जाएगा.साथ ही दिग्विजय को लेकर कांग्रेस में ये मान्यता मजबूत होगी कि वाकई संगठन पर मजबूती के लिए और चुनावी जमीन तैयार करने में दिग्विजय का कोई मुकाबला नहीं.

चुनाव प्रचार के दौरान बैठक लेते दिग्विजय सिंह

क्या कहते हैं पत्रकार:वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं दिग्विजय सिंह अकेले ऐसे राजनेता हैं जिन्हे इतने साल बाद आज भी पार्टी के एक एक जमीनी कार्यकर्ता का नाम जुबानी याद है. संगठन पर पकड़ बनाने जिसे काबिलियत कहा जा सकता है. अपने विवादित बयानों से वो पार्टी को कितना डैमेज करे लेकिन उन्हीं की क्षमता है कि वे 70 पार की उम्र में भी लगातार दौरे कर पूरे प्रदेश में बैठकें करते रहे और पार्टी की जड़ें जमाते गए.

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कितने उम्मीदवार जीतेंगे: याद कीजिए 2018 का विधानसभा चुनाव जब ग्वालियर चंबल की 34 सीटों में से 26 सीटों पर सिंधिया समर्थकों को जीत मिली थी. तो वो पार्टी में सत्ता के बड़े दावेदार के रुप में उभरे थे. इस बार क्या यही सीन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच बनेगा. निगाहें इस पर भी रहेंगी की दिग्विजय सिंह की मुहर से टिकट पाए कितने उम्मीदवार ये चुनाव जीतते हैं. इन समर्थक उम्मीदवारों की जीत हार भी एमपी में दिग्विजय सिंह का वजन तय करेगी.

राजनीतिक हलकों में यह कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन के भविष्य के लिए मैदान में हैं. हकीकत भी यही है. ये चुनाव दिग्विजय सिंह की पारिवारिक राजनीतिक विरासत के लिहाज से भी अहम है.

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