भोपाल। 'बहनों फिर दस तारीख आ रही है...' शिवराज सरकार के इस कैम्पेन का असर माना जाए क्या कि तीन दिसम्बर को पार्टी ने जिस बम्पर जीत की कल्पना भी नहीं की होगी. वो जीत सामने है. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शिवराज का बहनों के साथ बेहद आत्मीय और भावुक संवाद, क्या भैय्या शिवराज का इमोशनल कार्ड असर दिखा गया? जिस लाड़ली बहना योजना को पार्टी ने गेमचेंजर के बतौर एन चुनाव के पहले लॉच किया, क्या वाकई बीजेपी का ये फार्मूला गेमचेंजर बन गया? सवाल अब ये भी है कि अगर बहनों ने बीजेपी को ये जीत का उपहार दिया है तो बीजेपी क्या फिर शिवराज के सिर पर जीत का सेहरा बांधेगी.
बहनों ने दे दिया रिटर्न गिफ्ट:प्रदेश की एक करोड़ 31 लाख लाड़ली बहनों ने वाकई तस्वीर बदल दी, शिवराज जिन लाड़ली बहनों के बूते लगातार चुनाव प्रचार में जुटे रहे और सिरे से लाड़ली बहना योजना को प्रमोट करते रहे, उनका हर प्रयोग इस चुनाव में कारगर रहा. इसमें दोराय नहीं कि साइलेंट वोटर ने गेम बदल दिया. आम तौर पर माना जाता है कि महिलाएं खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में वोट डालने भी कम निकलती हैं और जो निकलती भी हैं तो उनका मत उनका नहीं होता. लेकिन इस बार कमोबेश हर विधानसभा सीट पर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का वोट प्रतिशत था. महिलाओं ने बढ़ चढकर मतदान में हिस्सा लिया. विंध्य जिले की सीटों पर मिसाल के तौर पर देखें तो चित्रकूट, रैगांव, सतना, नागौद, मैहर, अमरपाटन, और रामपुर बघेलान सभी सीटों पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज ज्यादा ही रहा.