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मोहन यादव ने भी प्रशांत सिंह पर जताया भरोसा, एक बार फिर एमपी हाई कोर्ट के महाधिवक्ता होंगे प्रशांत सिंह

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रशांत सिंह पर भरोसा जताया है, फिलहाल एक बार फिर प्रशांत सिंह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के महाधिवक्ता बने रहेंगे. आइए जानते हैं कौन हैं प्रशांत सिंह-

prashant singh as advocate general of mp
प्रशांत सिंह मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 8:13 AM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी प्रशांत सिंह पर भरोसा जताते हुए मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पद पर प्रशांत सिंह को दोबारा नियुक्ति दी है, इस आशय का आदेश सोमवार को मध्य प्रदेश शासन, विधि और विधायी कार्य विभाग के सचिव उमेश पांडे ने राज्यपाल के आदेशानुसार जारी किया. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए वकीलों का एक समूह होता है जो महाधिवक्ता कार्यालय के अंतर्गत काम करते हैं, इस कार्यालय का प्रमुख महाधिवक्ता कहलाता है.

मोहन यादव ने जताया प्रशांत सिंह पर भरोसा: सामान्य तौर पर यह नियुक्ति राजनीतिक मानी जाती है जो भी दल सरकार बनता है, वह अपने पसंद के वकीलों को सरकार की पर भी करने के लिए नियुक्त करता है . भारतीय जनता पार्टी के पिछले शासनकाल में पहले पुष्पेंद्र कोरव मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता थे, लेकिन वह हाई कोर्ट के जज हो गए इसलिए यह पद खाली हो गया था और इस पर एडवोकेट प्रशांत सिंह को नियुक्त किया गया था. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि हो सकता है महाधिवक्ता भी बदल दिया जाए, लेकिन मोहन यादव ने भी प्रशांत सिंह पर भरोसा जताया है.

संघ की पसंद हैं प्रशांत सिंह:प्रशांत सिंह ने अपनी वकालत एडवोकेट रवि नंदन सिंह के साथ शुरू की थी, रवि नंदन सिंह भी मध्य प्रदेश में लंबे समय तक महाधिवक्ता रहे हैं. वहीं प्रशांत सिंह व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी सक्रिय रहे हैं, इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद माने जाते हैं. प्रशांत सिंह हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हैं और उन्हें वकालत से जुड़े हुए तमाम मामलों में महारत हासिल है, शिवराज सिंह की शासन काल के दौरान भी उन्होंने कई बार सरकार को कानूनी संकट से बचाया है.

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प्रशांत सिंह के साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय में सरकारी वकीलों की बड़ी फौज होती है जो अदालत में सरकार की ओर से पक्ष रखते हैं, इसमें भी बहुत सी नियुक्तियां राजनीतिक दलों के प्रभाव की होती हैं. अब देखना यह होगा कि प्रशांत सिंह अपनी पुरानी टीम के साथ ही आगे बढ़ते हैं या फिर वह नए वकीलों को जगह देते हैं.

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