मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

Bhopal Trilok Ber: दुनिया का 100 साल पुराना दुर्लभ बेर का पेड़, एक बेर की कीमत जान चौक जाएंगे

इंसान का पेड़-पौधों से बेहद खास रिश्ता होता है, पेड़ वृक्ष ही हैं, जो इंसान की जरूरतों को पूरा करते हैं, पेड़ हमें फल, फूल, और सांस लेने के लिए प्राणवायु देते हैं. पेड़ की अहमियत को देखते हुए अनुसंधान केंद्र ने भोपाल के ईंटखेड़ी स्थित दुर्लभ त्रिलोक बेर के पेड़ को संरक्षित करने के आदेश दिए हैं. यह पेड 100 साल से अधिक पुराना बताया जा रहा है, और आज भी फल दे रहा है.

bhopal trilok ber tree history
100 साल पुराना त्रिलोक बेर का पेड़

By

Published : Feb 3, 2023, 2:05 PM IST

Updated : Feb 4, 2023, 8:07 AM IST

100 साल पुराना त्रिलोक बेर का पेड़

भोपाल। कुदरत भी कभी-कभी अनूठे खेल खेलती है. इसका जीता जागता उदाहरण भोपाल से सामने आया है. फल अनुसंधान केंद्र (Fruit Research Center) द्वारा भोपाल में ईंटखेड़ी स्थित दुर्लभ प्रजाति के त्रिलोक बेर के पेड़ को संरक्षित किया जा रहा है. केंद्र सरकार का दावा है कि यह 100 साल से भी ज्यादा पुराना पेड़ है, और देश में इस बेर के 5 पेड़ हैं. खास बात यहा है कि 100 की उम्र होने के बाद भी यह पेड़ फल दे रहा है. अनुसंधान केंद्र में उन सभी पेड़ों का पोषण किया जा रहा है, इस त्रिलोक बेर की पूरे देश में भारी मांग है, जिस वजह से बेर की कीमत भी ज्यादा है, एक बेर की कीमत 20 से 25 रुपए बताई जा रही है.

100 साल पुराना पेड़ दे रहा फल: दरअसल पेड़ की अहमियत को देखते हुए अनुसंधान केंद्र ने भोपाल के ईंटखेड़ी स्थित दुर्लभ त्रिलोक बेर के पेड़ को संरक्षित करने के आदेश दिए हैं. यह पेड 100 साल से अधिक पुराना बताया जा रहा है, और आज भी फल दे रहा है. त्रिलोक बेर एक दुर्लभ प्रजाति का वृक्ष बताया जा रहा है. अब इसे संरक्षित किया जा रहा है. इस पेड़ के फल की मांग पूरे देश में उठी है. फल शोध केंद्र के एक वैज्ञानिक के मुताबिक इस फल का गूदा चिपचिपा नहीं होता, इसे सेब की तरह काटा जा सकता है. एक बेर के फल का वजन लगभग 40 से 50 ग्राम होता है और एक पेड़ में एक बार में 2.5 क्विंटल (250 किलो) तक फल लगते हैं. विभिन्न शहरों में इस फल की मांग है.

Gwalior Tansen Samaroh आवाज को सुरीली बनाती हैं इमली के इस पेड़ की पत्तियां, जानें क्या है सुरसम्राट का इमली कनेक्शन

इसलिए पड़ा पेड़ का 'त्रिलोक' नाम:अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि भारत में ''बेर की 125 किस्में हैं. उन्होंने दावा किया कि करीब 100 साल पहले भोपाल के जगदीशपुर (इस्लामनगर) के एक मंदिर में त्रिलोक बेर का पेड़ लगाया गया था. पेड़ में फलृ-फूल लगते थे, इस पेड़ पर रिसर्च की गई. पेड़ के मंदिर में होने के चलते वहीं के लोगों ने इसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश (त्रिदेव) का प्रसाद समझकर 'त्रिलोक' बेर नाम दिया. तभी से इसे त्रिलोक बेर के नाम से जाना जाता है''.

देखें, कोरोना कर्फ्यू में बेर और नमक खाकर पेट भरने वाले आदिवासी परिवार की कहानी

बीमारियों में फायदेमंद है त्रिलोक बैर: वैज्ञानिक एचआई सागर पेड़ को लेकर बताते हैं कि ''सेहत के लिहाज से इस पेड़ का फल बहुत फायदेमंद है. इससे डिप्रेशन की समस्या दूर होती है. इसके अलावा भी अन्य बीमारियों में कारगर साबित होता है. त्रिलोक बेर में फाइबर अधिक होता है, जिस कारण पाचन क्रिया ठीक रहती है''. एचआई सागर ने बताया कि ''भोपाल की जलवायु के चलते यह पेड़ यहां पाया जाता है, पेड़ों के निरंतर काटे जाने के बेर के पेड़ की संख्या कम हो गई है, इसलिए त्रिलोक बेर के पेड़ को संरक्षित किया जा रहा है. फल को सामान्य कमरे में 12 दिन तक स्टोर किया जा सकता है. बेर के लंबे समय तक सख्त रहने के चलते इसका देश और विदेशों में भी निर्यात कर सकते हैं''.

Last Updated : Feb 4, 2023, 8:07 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details