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MP budget 2022-23 : कैसा होगा मध्यप्रदेश का बजट, क्या है खास, किसे क्या मिलेगा, कैसे तैयार होता है बजट ...यहां जानिए सब कुछ - मप्र के बजट में क्या है खास

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार आज बुधवार को विधानसभा में 2022-23 का बजट पेश करेगी. इस बजट पर प्रदेश के लोगों की निगाहें हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल के साथियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार गहरे मंथन के बाद बजट 2022-23 को पेश करने की तैयारी पूरी कर ली है. बुधवार को विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा. इसे वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पेश करेंगे. ( Madhya pradesh Budget 2022-23) ( what is special in Madhya pradesh budget)

Madhya pradesh budget 2022
मध्यप्रदेश बजट 2022

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Published : Mar 9, 2022, 6:00 AM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश की विधानसभा में आज बुधवार को बजट पेश किया जाएगा। वर्ष 2022 में नगरीय निकाय और वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार बजट जनहितैषी होने की उम्मीद है. किसानों पर सरकार का ज्यादा फोकस होगा. राज्य सरकार का बजट ढाई लाख करोड़ का हो सकता है. सरकार ने पिछली बार भी जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया था. इस बार भी कोई नया टैक्स नहीं लगने की उम्मीद है. समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश बजट में दिखेगी. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को खुश करने के लिए सड़कों के निर्माण पर सरकार का विशेष जोर रहेगा. इसके लिए बजट में नगरीय विकास एवं आवास और लोक निर्माण विभाग को पैकेज भी मिलेगा. नगरीय क्षेत्रों की सड़कों के लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान हो सकता है. वहीं, 10 किलोमीटर से कम लंबाई की सड़क बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग को अतिरिक्त राशि मिलेगी. खास बात यह है कि सरकार पहली बार चाइल्ड बजट लेकर आ रही है.

गत वर्ष 2 लाख 41 हजार करोड़ का था बजट, इस बार ढाई लाख करोड़ का संभव

शिवराज सरकार का 2021-22 में कुल बजट 2 लाख 41 हज़ार 375 करोड़ का था. इसमें व्यय का अनुमान 2 लाख 17 हज़ार 123 करोड़ रुपये तय हुआ था. कुल राजस्व घाटा 8 हज़ार 294 करोड़ और सकल घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का 4.50% का अनुमान जताया गया था. 2021-22 में राज्य के राजस्व में 22% की वृद्धि और राजस्व व्यय में 9% वृद्धि अनुमानित थी. वित्त मंत्री सदन में इसका विस्तृत ब्यौरा देंगे कि बजट की राशि कहां- कहां कैसे खर्च हुई. अनुमान है कि वर्ष 2022-23 का पेश होने वाला बजट ढाई लाख करोड़ से ज्यादा का हो सकता है.

किसानों को साधने पर रहेगा सरकार का जोर

प्रदेश में एक करोड़ 07 लाख किसान हैं. इनमें से 67 प्रतिशत के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है. सरकार का फोकस इन्हीं किसानों पर है. उनकी उपज खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का कार्यक्रम जारी रखा जाएगा. इसमें गड़बड़ी को रोककर वास्तविक किसानों को लाभान्वित किया जाएगा. जानकार संभावना जता रहे हैं कि कृषि और किसानों पर इस बजट में खासा फोकस होगा. फसल बीमा का लाभ किसानों को दिलाने के लिए बजट में राशि का प्रावधान हो सकता है. प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी सरकार मुआवजा राशि बढ़ाने का प्रावधान कर सकती है.

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कस्टम हायरिंग सेंटर का दायरा बढ़ाया जाएगा

कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर भी कुछ नए ऐलान हो सकते हैं. नर्मदा किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार बजट में राशि का प्रावधान कर सकती है. कृषि उपकरणों की सहज उपलब्धता के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर का दायरा बढ़ाया जा सकता है. इसमें ड्रोन सहित नए उपकरण हैं. प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग की व्यवस्था बनेगी. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जीआइ टैग हासिल करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा.

सिंचित रकबा बढ़ाने पर पर सरकार का फोकस

राज्य में सिंचित रकबे को 60 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है. कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर योजना में भी बदलाव किया जाएगा, ताकि छोटे किसानों को भी प्रोसेसिंग की सुविधा मिल सके. मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए और प्रावधान करने का प्रस्ताव है. ब्याज मुक्त कृषि ऋण के लिए 800 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निर्धारित की जाएगी. इसके साथ ही तिलहन की खेती को बढ़ावा देने की योजना का भी ऐलान किया जा सकता है. केन-बेतवा लिंक परियोजना से न केवल लगभग दस लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी, बल्कि पीने के पानी तथा बिजली का प्रबंध भी होगा.

केन-बेतवा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट के लिए 44,000 करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है. इस प्रोजेक्ट से 9 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा.

बजट में इन पर भी हो सकता है फैसला

बजट में धार्मिक योजनाओं पर केंद्रित कुछ घोषणाएं हो सकती हैं. इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए तक के प्रावधान संभावित हैं. गाय संवर्धन की योजनाओं पर फैसले लिए जा सकते हैं.

  • संबल योजना को बजट मिल सकता है.
  • मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शुरू कर उसका बजट बढ़ाया जा सकता है.
  • ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की मूर्ति स्टेच्यू ऑफ वेलनेस के लिए बजट जारी हो सकता है.
  • महाकाल मंदिर परिसर के कायाकल्प के लिए बजट में प्रावधान हो सकता है.
  • राम वनगमन पथ को लेकर भी बजट दिया जा सकता है.
  • गो-संवर्धन की नई योजना लाई जा सकती है.
  • आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को वापस मिशन मोड में लिया जा सकता है.

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बजट सत्र के लिए विधायकों ने कुल 4518 सवाल लगाए

बजट सत्र 25 मार्च तक चलेगा. बजट सत्र के लिए विधायकों ने कुल 4518 सवाल पूछे हैं.इसमें से कुल 2267 सवाल ऑनलाइन लगाए गए हैं. सबसे ज्यादा 86 विधायकों ने कुल 2251 प्रश्न ऑनलाइन लगाए हैं, जो कि कुल प्रश्न के करीबन 50% हैं. सबसे खास बात ये कि 12 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने अपने सभी सवाल ऑनलाइन लगाए हैं. इस दौरान बजट सत्र में कुल 13 बैठक आयोजित होंगी. 18 मार्च को होली और 22 मार्च को रंगपंचमी के अवसर पर अवकाश घोषित किया गया है. सत्र के दौरान अन्य शासकीय कार्य भी संपादित होंगे. बता दें कि मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा की बैठकों की सामान्य सूची के अनुसार इस बजट सत्र में कुल 13 बैठकें होंगी. इसमें सरकार के एक साल के काम और आगामी वित्तीय वर्ष का रोडमैप रखा जाएगा.

सदन मे बजट के दौरान विधायकों के लिए गाइडलाइन

  • विधानसभा के दर्शक दीर्घा में 1 घंटे के लिए ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
  • समर्थकों के लिए विधायकों की सुविधा अनुसार नियम तय किए जाएंगे.
  • विधानसभा परिसर के अंदर एक और से परिसर में दो लोगों की ही एंट्री रहेगी.
  • विधायकों को समर्थकों से मुलाकात के लिए भी अनुमति लेना आवश्यक होगा.
  • मंत्रियों के निजी स्टाफ को परिसर में घूमने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
  • प्रदेश के कुल के 12 विधायकों ने पूरी तरीके से ऑनलाइन सवाल विधानसभा में लगाएं.
  • विधायक भी इसी तरीके से डिजिटल प्रोसेस में आएं तो ठीक होगा.

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कैसे तैयार होता है मध्यप्रदेश का बजट

मध्यप्रदेश का बजट कई विभागों के आपसी विचार-विमर्श के बाद तैयार होता है. इसमें वित्त मंत्रालय के साथ ही राज्य सरकार के कई अन्य मंत्रालय शामिल रहते हैं. वित्त मंत्रालय खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है. इस पर अलग-अलग मंत्रालय अपनी ओर से फंड की मांग बताते हैं. जिसके बाद वित्त मंत्रालय में बजट डिवीजन इसे तैयार करती है. बजट बनने की प्रक्रिया सामान्य स्थितियों में अक्टूबर से शुरू हो जाती है. इस दौरान वित्त विभाग की बजट डिवीजन सभी मंत्रालयों को सर्कुलर जारी करता है. इसमें उनसे आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए उनके खर्चों का अनुमान लगाते हुए जरूरी फंड बताने के लिए कहा जाता है. फिर अलग-अलग विभागों के बीच फंड देने को लेकर चर्चा होती है. इसके साथ ही बजट डिवीजन राजस्व विभाग, उद्योग संघों, वाणिज्य मंडलों, किसान संघों, ट्रेड यूनियनों, अर्थशास्त्रियों जैसे अलग-अलग क्षेत्रों के हितधारकों के साथ चर्चा करते हुए बजट प्रावधान तैयार करते हैं.

विभागों को कैसे मिलता है बजट से फंड

बजट के दौरान हर मंत्रालय अपने विभाग के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड पाने की कोशिश में रहता है, ताकि वो योजनाओं पर ज्यादा पैसा खर्च कर सके. लेकिन सीमित आमदनी की वजह से सारे मंत्रालयों की इच्छा पूरी नहीं हो सकती. ऐसे में किस विभाग को कितनी रकम का आवंटन हो, इस बात को तय करने के लिए वित्त मंत्रालय नवंबर माह के दौरान अन्य मंत्रालयों के साथ बैठक करते हुए एक ब्लूप्रिंट बनाता है.

प्रदेश के लोगों से मांगे जाते हैं सुझाव

आम लोगों की बजट में सहभागिता बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय नागरिकों से सुझाव मांगता है. हर साल की तरह इस बार भी जनता से सुझाव देने के लिए कहा गया था. वित्त मंत्रालय उद्योग से जुड़े संगठनों और पक्षों से भी सुझाव मांगता है. दावा किया जाता है कि आम लोगों के चुनिंदा सुझावों पर सरकार अमल करती है.

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बेहद गोपनीय होते हैं बजट दस्तावेज

बजट दस्तावेज बेहद गोपनीय रहते हैं. बजट तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी से लेकर अधीनस्थ कर्मचारी, स्टेनोग्राफर्स, टाइपराइटर्स, प्रिंटिग प्रेस के कर्मचारी और अन्य लोग दफ्तर में ही रहकर काम करते हैं. गोपनीयता को बनाए रखने के लिए आखिरी वक्त पर उन्हें अपने परिवार से बात करने की भी इजाजत नहीं रहती है. इस दौरान बजट तैयार करने वाले और इसके प्रकाशन से जुड़े लोगों पर कड़ी नजर रखी जाती है. बजट प्रक्रिया में वित्त मंत्री का भाषण सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है. जिसे बजट घोषणा से सिर्फ दो दिन पहले ही छपने के लिए भेजा जाता है.

कर्ज के बोझ तले दबा है मध्यप्रदेश

प्रदेश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. केंद्र और राज्य स्तर पर कर की वसूली बढ़ी है. प्रदेश को वर्ष 2021-22 में केंद्रीय करों से 52 हजार 247 करोड़ रुपये मिलना अनुमानित था, लेकिन अब आठ हजार करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने बजट में प्रावधान किया है. वहीं, केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 63 हजार करोड़ रुपये कर दिया है.मध्यप्रदेश पर ढाई लाख करोड़ रुपे से ज्यादा कर्ज है. प्रदेश को राजस्व के रूप में जो राशि प्राप्त होती है उसका लगभग 52 प्रतिशत हिस्सा वेतन-भत्ते, पेंशन और ब्याज की अदायगी पर खर्च होता है. वेतन, पेंशन और भत्ते पर सालभर में 60 हजार करोड़ रुपये के आसपास खर्च होते हैं.

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