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कोरोना संकट: बदल गया स्कूलों में पढ़ाई का स्वरूप, बाल आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को सौंपी गाइडलाइन - 55 सीटर बस में 25 बच्चों को बैठने का निर्देश

बाल आयोग ने जुलाई की जगह सितंबर में स्कूल खोले जाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही आयोग ने ये भी निर्देश दिए हैं कि, जब तक कोरोना महामारी की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक पहली से पांचवीं तक के बच्चों की कक्षाएं ना लगाई जाएं. वहीं छठवीं से 12वीं तक की कक्षाएं सितंबर से शुरू की जाएंगी.

Child Commission gave guidelines to school education department
बाल आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को दी गाइडलाइन

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Published : Jun 1, 2020, 11:29 AM IST

भोपाल।स्कूल शिक्षा विभाग 15 जुलाई से स्कूलों को खोलने की तैयारी कर रहा है. प्रदेश के स्कूल 15 जुलाई से खुल सकते हैं, लेकिन बाल आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को सितंबर में स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइन सौंपी है. इस गाइडलाइन के तहत 55 सीटर स्कूल बस में केवल 25 बच्चों को ही बिठाए जाने के लिए कहा गया है, साथ ही क्लास में 6 फीट की दूरी पर बच्चों को मास्क लगाकर बैठाने की व्यवस्था करने को कहा गया है.

बाल आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को सौंपी गाइडलाइन
बाल आयोग ने जुलाई की जगह सितंबर में स्कूल खोले जाने के निर्देश दिए हैं. जब तक कोरोना महामारी की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक पहली से पांचवीं तक के बच्चों की कक्षाएं ना लगाई जाए. वहीं छठवीं से 12वीं तक की कक्षाएं सितंबर से शुरू की जाए. प्रायमरी कक्षाओं की पढ़ाई ऑनलाइन ही पूरी कराई जाए. प्रत्येक कक्षा में 30 फीसदी बच्चों को 2 दिन के अंतर से बुलाया जाएं और उन्हें होमवर्क ज्यादा से ज्यादा दिया जाय.
मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइन तैयार की है. इसे आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप कर पालन कराने की अनुशंसा भी की है. आयोग ने स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, यातायात, बच्चे और अभिभावक सभी के लिए गाइडलाइन तैयार की है. बाल आयोग की गाइडलाइन में स्कूल प्रशासन से अपील की गई है कि, स्कूलों को सेनेटाइज किया जाए. पीने के पानी की और हाथ धोने की समुचित व्यवस्था स्कूलों में कराई जाए.
बच्चों के बैठने के बीच 6 फीट की दूरी रखी जाए. इसके साथ ही विद्यार्थियों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक किया जाए. स्कूल का शौचालय साफ सुथरा हो, जिसकी सफाई दिन में दो-तीन बार होनी चाहिए. यूनिफॉर्म जूते- मोजे अनिवार्य नहीं होना चाहिए, जिससे विद्यार्थी खुले कपड़े एवं सामान्य जूते-चप्पल पहनकर उपस्थित हो सकें.

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