भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल माह में आयोजित की जाएंगी. स्कूलों में परीक्षा की तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं विभाग के एक आदेश के बाद अब शिक्षक और प्राचार्य के सामने संकट आ गया है.
MP बोर्ड का परीक्षा परिणाम बिगड़ा, तो शिक्षकों पर गिरेगी गाज
कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल माह में आयोजित की जायेगी. वहीं विभाग के एक आदेश के बाद अब शिक्षक और प्राचार्यों के सामने संकट आ गया है. जारी आदेश के मुताबिक अगर एमपी बोर्ड की कक्षाओं में छात्रों का परीक्षा परिणाम कम आता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा.
दरअसल, लोक शिक्षण संचनालय द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक, अगर एमपी बोर्ड की कक्षाओं में छात्रों का परीक्षा परिणाम कम होता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा, जिसको लेकर शिक्षकों में तनाव पैदा हो गया है.
परीक्षा परिणाम बिगड़ा, तो शिक्षकों का रुकेगा इंक्रीमेंट
लोक शिक्षण संचनालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अगर 10वीं में 64 प्रतिशत ओर 12वीं 73 प्रतिशत से कम रिजल्ट आता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूली शिक्षा पर प्राचार्य को अगले सत्र के लिए टारगेट दिया है, जिसमें कक्षा 9वीं से दसवीं तक के परीक्षा परिणाम में स्कूलों को सुधार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर इंक्रीमेंट रोकने से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का विकल्प तय किया गया है.
शिक्षकों के लिए चुनौती
इस आदेश के बाद शिक्षकों के सामने एक चुनौती आ गई है. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष कक्षाएं लगी ही नहीं है. शासकीय स्कूलों की अगर बात करें, तो न तो बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की है और ना ही स्कूलों में पढ़ाई हो रही है. उनका कहना है कि अभी स्कूल खुल चुके हैं. बावजूद इसके स्कूलों में 50 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं. जो 50 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं आ रहे है, वो ना स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और ना ही ऑनलाइन कक्षाओं में. ऐसे बच्चों का अगर रिजल्ट खराब होगा, तो उसकी जिम्मेदारी शिक्षक और प्राचार्य कैसे लेगा.