भोपाल।आधुनिक जीवनशैली के कारण डायबिटीज ना केवल बड़ो बल्कि बच्चों को भी होने लगी है. पहले ऐसा माना जाता था कि टाइप-2 डाइबिटीज केवल वयस्कों को हो सकती है लेकिन अब देखने में मिल रहा है कि टाइप-2 डाइबिटीज ने बच्चों को भी अपना शिकार बना लिया है.
कैसे होती है टाइप-2 डायबिटीज
टाइप-2 डायबिटीज लंबे समय तक इंसुलिन प्रतिरोध और अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के परिणामस्वरूप विकसित होता है. यह कई मामलों में, मोटापे और जीवनशैली से जुड़े कारकों जैसे कि निष्क्रियता से जुड़ा हुआ है.
कैसे बचें डायबिटीज से
बच्चों में डायबिटीज का खतरा क्यों दिनों दिन बढ़ता जा रहा है इस पर मधुमेह विशेषज्ञ डॉ सचिन चित्तावर कहते है कि जो हमारी सामान्य दिनचर्या और खानपान होता था. वह पूरे तरह से बिगड़ चुका है क्योंकि पहले बच्चे की शारीरिक कसरत खेल के जरिये हो जाती थी और पढ़ाई का भी ज्यादा बोझ होता नहीं था पर अब सब कुछ इसके विपरीत है.
बच्चों में पढ़ाई को लेकर रहता है स्ट्रेस इसके साथ ही खानपान भी संतुलित नहीं है क्योंकि बाजार में उपलब्ध नमकीन, चॉकलेट, फास्ट फूड बच्चे खाते है, जिनका नकारात्मक असर उनकी सेहत पर पड़ता है. एक बच्चे की सेहत में सबसे बड़ा महत्व माता पिता की दिनचर्या का होता है, इसलिए जरूरी है कि शुरू से ही बच्चे को ऐसा माहौल दिया जाए जिसमें वह शारीरिक मेहनत पर ध्यान दें.
बच्चों को नुकसान पहुंचाता है फास्ट फूड बच्चे सबसे ज्यादा मां से सीखते हैं
खास तौर पर मां के लिए ये जरूरी है कि वह अपने शरीर को फिट रखें क्योंकि बच्चा अपनी मां को देखकर ही बहुत कुछ सीखता है. इसके अलावा यदि किसी बच्चे में डाइबिटीज़ होने का खतरा हो तो कोशिश यह करनी चाहिए कि उसे व्यायाम कराया जाये और खानपान सन्तुलित किया जाये.